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अब तक मुख्य आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ है, इसके बारे में आपका क्या कहना? रजनी: बहुत दुख होता है जानकर कि आरोपी ना तो पकड़ा गया है और न ही आरोपी का नाम ही घोषित हुआ है। ना ही कोई आरोपी अरेस्ट हुआ है। जो लोग पकड़े गए, उनको आप यह मत कहिए कि कोई अरेस्ट हुए हैं। एक-एक कर खुद ही ये लोग आकर सरेंडर हुए हैं ताकि उन पर किसी प्रकार का कोई भी प्रेशर डालकर कुछ भी पूछताछ न की जा सके। वे अपनी मर्जी से अपने तरीके से सरेंडर कर रहे हैं। कोई भी अरेस्ट नहीं हुआ है। दुख होता है जानकर कि इस देश के एक इंस्पेक्टर की हत्या करके मार दिया जाता है। उसके बाद आरोपी को पुलिस क्यों अभी तक अरेस्ट नहीं कर पाई है। यह भी पढ़ें
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आपको क्या लगता है। कोई आरोपी को बचा रहा है? रजनी: अगर कोई उन्हें बचा नहीं रहा होता तो वे अब तक कैसे बचे हुए हैं। मेरे पति की सर्विस के दौरान क्राइम होते ही समाचार पत्र को छापना पड़ता था, कि यह घटना हुई इसका खुलासा किया गया, इतने आरोपी पकड़े गए, इतना सामान बरामद किया गया है। मैं उस इस्पेक्टर की पत्नी हूं, जिसको न्याय दिलाने के लिए एक भी अफसर नहीं खड़ा है। यह जानकर बड़ा दुख होता है। अगर घटना किसी और इनके साथी के साथ होती, तो अब तक ना सिर्फ आरोपी पकड़ा गया होता, उसे सजा दिलाने के लिए मेरे पति दुनिया से लड़ जाते। लेकिन आज उनके लिए लड़ने वाला कोई नहीं है, उनके बराबरी का एक भी इंस्पेक्टर मुझे खड़ा हुआ नजर नहीं दिखाई दे रहा है। यह जानकर बड़ा दुख होता है। यह भी पढ़ें
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आपके पिताजी नहीं रहे। अब आगे जीवन में कैसा संघर्ष चल रहा है? अभिषेक : मेरा अब संघर्ष है कि न्याय इस सोसायटी में बना रहे। जो जितना नीचे गिरता जा रहा है, उससे इंसानियत उतनी ही दब रही है। मुझे इस बात का डर है कि किसी दिन ऐसा ना हो कि हमें छोटे बच्चों को देखकर उस पर भी दया ना आए। इंसान की भी एक वैल्यू होती है। वह बनी रहे। इंसान और जानवर की वैल्यू अलग संदर्भ में होती है, लोग यह भूल जाते हैं, उनको बताना पड़ता है। आज जो चीज हो रही है, उस बात पर किसी का फोकस ना जाए, इसलिए उस चीज पर फोकस करना, जिससे वह चीज बनी रहे, जिससे किसी को बचाया जा सके। किसी और के साथ भी यह घटना ना हो, जो मेरे पापा के साथ हुई है। यह भी पढ़ें