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पार्टी सूत्रों के अनुसार जिस दिन कर्नाटक में भाजपा बहुमत साबित नहीं कर पाई थी, उसी दिन मायावती ने उप्र के पार्टी पदाधिकारियों को 23 मई की पार्टी मीटिंग के लिए लखनऊ पहुंचने का फरमान जारी कर दिया था। मेरठ से लखनऊ गए पार्टी पदाधिकारियों को बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा के खिलाफ 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले शुरू किए जाने वाले अभियान के बारे में जानकारी दी और उसकी तैयारी के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने कैराना व नूरपुर उपचुनाव के लिए भी पार्टी कार्यकर्ताओं की भूमिका को लेकर स्थिति साफ की।
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बसपा सुप्रीमो ने पदाधिकारियों से कहा कि वे कैराना और नूरपुर उपचुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी को पूरा सहयोग व समर्थन दें। दोनों ही स्थानों के दलित वोटरों को गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में वोट करने को कहा है। कैराना पर हालांकि बीएसपी का गैर बीजेपी दलों को समर्थन जगजाहिर है, लेकिन कार्यकर्ताओं को उसमें किस तरह सहयोग करना है इसको लेकर अभी तक उनमें संशय बना हुआ था। वह पूरी तरह से खुलकर नहीं आ रहे थे, लेकिन कल यानी 23 मई को हुई पदाधिकारियों की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यह पूरी तरह से साफ कर दिया कि कार्यकर्ता और पदाधिकारी गठबंधन के प्रत्याशी का समर्थन करें।
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इससे पूर्व बीती दस मई को लखनऊ में बैठक हुई थी। जिसमें भाईचारा कमेटियों के प्रमुख लोगों को बुलाकर कैराना और 2019 के चुनाव के साथ बीजेपी की दलित के घर भोजन करने के अभियान की काट करने वाली मुहिम की शुरू करने की जानकारी देने की बात कही जा रही है। बीएसपी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी शमसुद्दीन राइन के अनुसार नूरपुर-कैराना उपचुनाव में बसपा गठबंधन के प्रत्याशी को समर्थन देगी। इसके लिए बहन जी ने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को बैठक में जरूरी दिशा-निर्देश दिए।