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ऑक्सीजन कमी से हुई मौतों से दुखी होकर कानपुर की बेटी ने अमेरिका से भेजे 4 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दरअसल, राजस्थान (Rajasthan) के कोटपुतली से ताल्लुक रखने वाले बीपी अग्रवाल का जन्म सन 1949 में हुआ था। पिता कालीचरण अग्रवाल परिवार समेत कोलकाता के पानीहट्टी में आकर बस गए थे। जहां उन्होंने किराने का काम शुरू किया। बीपी अग्रवाल परिवार के बड़े बेटे थे। स्कली शिक्षा पूरी करने के बाद वह पिता के कारोबार में हाथ बंटाते थे। 1967 में शादी के बाद उन्होंने प्रिया नाम से बिस्किट बनाने की शुरुआत की। 1991 में बीपी अग्रवाल कोलकाता छोड़कर नोएडा आ गए। जहां सेक्टर-4 में उन्होंने कोकोनट ऑयल की फैक्ट्री डाली, लेकिन उनकी मंजिल तो कुछ और थी। कोलकाता उनकी जन्मभूमि थी तो नोएडा-ग्रेटर नोएडा को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया।
सरकार ने 2006 में यूपी रत्न से नवाजा 1994 में उन्होंने छोटी सी पूंजी से ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में सूर्या फूड एंड एग्रो लिमिटेड में प्रिया गोल्ड बिस्किट ब्रांड की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता के सौपान चढ़ते चले गए। सूरजपुर के बाद उन्होंने लखनऊ, हरिद्वार, ग्वालियर, जगदीशपुर, जम्मू और सूरत में फैक्ट्रियां लगाईं और कारोबार को विस्तार देते चले गए। बीपी अग्रवाल की कंपनी ने 2004 में इंटरनेशनल क्वालिटी क्राउन अवॉर्ड हासिल किया। इसके बाद उद्यमिता कौशल में यूपी सरकार ने 2006 में यूपी रत्न से नवाजा। फिलहाल बीपी अग्रवाल की प्रिया गोल्ड बिस्किट कंपनी का सालाना 2 हजार करोड़ रुपए का कारोबार है। उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं।
समाजसेवा में हमेशा अग्रणी रहे बीपी अग्रवाल समाजसेवा में हमेशा अग्रणी रहे। उन्होंने इस्कॉन मंदिर के लिए भी काफी काम किया। इसके साथ ही शहर के अग्रवाल मित्र मंडल से जुड़ी गतिविधियों में वह संरक्षक के तौर पर काम करते थे। उनके निधन से उद्योगपतियों में शोक की लहर दौड़ गई है। एनईए के चेयरमैन विपिन मल्हन ने कहा कि वह नोएडा के उद्योग जगत की शान थे। उन्होंने समाज के लिए काफी काम किए हैं। वहीं फनरवा के पूर्व अध्यक्ष नएपी सिंह ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि बीपी अग्रवाल के निधन से नोएडा क्षेत्र को काफी क्षति पहुंची है।
बहुत जिद्दी भी थे अग्रवाल बता दें कि बीपी अग्रवाल इतने जिद्दी किस्म के इंसान थे कि जो कह दिया वह पत्थर की लकीर होती थी। बताया जाता है कि जब उन्होंने पहली फैक्ट्री के लिए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया तो उनसे कुछ अधिकारियों ने रिश्वत की मांग कर डाली। इस पर उन्होंने रिश्वत देने से साफ-साफ इनकार कर दिया। बताया जाता है कि इसके बाद लंबे समय तक उन्होंने जेनरेटर से ही फैक्ट्री संचालित की। यही वजह है कि उन्होंने बिस्किट के दो महारथियों ब्रिटानिया और पारले समूह के सामने अपना अंपायर खड़ा किया।