TERI (The Energy And Resources Institute) के लिए पर्यावरण और प्रदूषण मामलों पर काम कर रहे सुमित शर्मा ने मीडिया के साथ एक दिलचस्प स्टडी रिपोर्ट साझा की है। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में 36% प्रदूषण दिल्ली का अपने स्त्रोत से उत्पन्न होता है, जबकि बाकी एनसीआर से 34% प्रदूषण दिल्ली में आता है। इसके साथ ही 30% प्रदूषण एनसीआर और इंटरनेशनल बॉर्डर से आता है। सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण फैलने की वजहों को बताते हुए सुमित कहते हैं कि PM 2.5 के लिए जब आकलन किया गया तो हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए। उनके मुताबिक PM 2.5 के लिए सिर्फ वाहनों का आंकड़ा देखा जाए तो इससे होने वाले प्रदूषण का कुल योगदान लगभग 28% है। इस 28% में भारी वाहन जैसे ट्रक और ट्रैक्टर से सबसे ज्यादा 9% प्रदूषण फैलता है। वहीं, दो पहिया वाहनों से 7% प्रदूषण फैलता है। इसके अलावा तीन पहिया वाहनों से 5% और चार पहिया वाहनों से 3% और बसों से 3% प्रदूषण फैलता है। साथ ही LCVs वाहन का भी प्रदूषण फैलाने में 1% योगदान पाया गया है। स्टडी रिपोर्ट बताती है कि एनसीआर के 3 मिलियन यानि 30 लाख घरों में अब भी बायोमास कुकिंग की जाती है। इससे फैलने वाले प्रदूषण का असर दिल्ली की हवा में भी होता है। इसके अलावा सिर्फ दिल्ली में वाहन, इंडस्ट्री और बायोमास बर्निंग, प्रदूषण के बढ़ते स्तर की तीन खास वजह हैं।
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पराली से सिर्फ 4% प्रदूषण
TERI की इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि किसानों के जिस पराली जलाने पर इतना हाय-तौबा मचा हुआ है, उससे संबंधित दिलचस्प बात यह है कि सर्दियों के पूरे मौसम में खेतों में लगाई जाने वाली आग यानी पराली जलाने से फैलने वाले प्रदूषण का योगदान महज 4% है। यह जानना जरूरी है कि अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच दिल्ली के पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में जलने वाली पराली का योगदान प्रदूषण फैलाने में लगभग 15 से 20 दिनों के बीच में सबसे अधिक असर पैदा करती है। यानी इस दौरान किसान सबसे ज्यादा पराली जलाते हैं, जिससे प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर पहुंच जाता है। इन 15 से 20 दिनों में दिल्ली में 30% प्रदूषण का योगदान पराली जलाने की वजह से होता है, लेकिन सर्दियों के पूरे मौसम का आकलन किया जाए तो पराली जलाने की वजह से फैलने वाले प्रदूषण का योगदान बेहद कम यानी 4% के आसपास रह जाता है।
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दिल्ली के प्रदूषण से प्रभावित होता है NCR
TERI ने दिल्ली से सटे हुए शहर में प्रदूषण की स्तिथि पर भी एक अध्ययन किया है। TERI के सुमित शर्मा का कहना है कि नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे शहर दिल्ली के प्रदूषण से प्रभावित हैं। नोएडा में 40% प्रदूषण की वजह दिल्ली का प्रदूषण है। इसके अलावा गाजियाबाद में इंडस्ट्री का प्रदूषण बेहद अधिक है। वहीं, गुरुग्राम में वाहनों का प्रदूषण बहुत ही ज्यादा है, जबकि पानीपत में बायोमास बर्निंग प्रदूषण की मुख्य वजह है।
धूल से कितना प्रदूषण
TERI (The Energy And Resources Institute) की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में PM 2.5 के स्तर में धूल से फैलने वाले प्रदूषण का योगदान 18% है। इसमें से सड़क पर धूल से प्रदूषण 3%, निर्माण कार्य से 1% और बाकी वजहों से 13% प्रदूषण फैलता है। TERI के मुताबिक दिल्ली में PM 2.5 के स्तर में इंडस्ट्री का प्रदूषण फैलाने में 30% योगदान है। इस 30% में पावर प्लांट का 6%, ईंटों के भट्टे का 8%, स्टोन क्रशर का 2% और दूसरी छोटी-बड़ी इंडस्ट्री से 14% प्रदूषण फैलता है। वहीं दिल्ली के रिहायशी इलाकों का प्रदूषण फैलाने में 10% का योगदान है।
BS4 और BS4 इंजन वाली गाड़ियों की तारीफ
TERI की रिपोर्ट के मुताबिक देश में ट्रांसपोर्ट सेक्टर में वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाले BS4 इंजन की स्कीम को लागू करने और 2020 तक BS6 स्टैण्डर्ड लागू होना प्रदूषण से निपटने के लिहाज से बढ़िया कदम साबित होगा। हालांकि TERI का मानना है कि जब तक पुरानी गाड़ियों को बदलकर नई गाड़ियों को सड़क पर नहीं उतारा जाएगा, तबतक प्रदूषण बढ़ता रहेगा।
गौरतलब है कि TERI ने यह स्टडी रिपोर्ट साल 2016 में तैयार की गई थी। इसे इसी साल अगस्त के महीने में रिलीज किया गया था। दिल्ली में प्रदूषण की वजहों को जानने के लिए अलग-अलग रिपोर्ट्स आती रही हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि बाहरी समस्याओं की बजाय दिल्ली को खुद के प्रदूषण से निपटने के लिए समाधान निकालने की जरूरत है।