करीब एक हफ्ते पहले अकाउंट से पोस्ट किया गया, मेरे प्यारे दोस्तों,
आज मैं आप से एक व्यंग्यात्मक कहानी’ भारतीय राजनीति में एलियन इरा’ से उद्धरण साझा कर रही हूं।
दोस्तो, भारतीय राजनीति ने फटे कुर्ते से लेकर लाखों के सूट तक के तमाम अच्छे दिन देख चुकी है, लेकिन भारतीय जवानी आज भी समस्याओं के दलदल में फंसी कराह रही है।। राजनीति ने हमें’ 0=100 जानें’ का गणित भी सिखाया; कालेधन का सांप दिखाते-दिखाते, मदारी ने सौ जानें ले ली। राजनीति की कॉमेडी, असल में ट्रेजडी होती है।
आगे लेखक कहता है, हमारा देश गांधी का देश है, गांधी मतलब, लोकतंत्र की आंधी: बदलाव की हर पटकथा, जनसैलाब ही लिखती है।–अधिक से अधिक संख्या में मतदान करें,
आज मैं आप से एक व्यंग्यात्मक कहानी’ भारतीय राजनीति में एलियन इरा’ से उद्धरण साझा कर रही हूं।
दोस्तो, भारतीय राजनीति ने फटे कुर्ते से लेकर लाखों के सूट तक के तमाम अच्छे दिन देख चुकी है, लेकिन भारतीय जवानी आज भी समस्याओं के दलदल में फंसी कराह रही है।। राजनीति ने हमें’ 0=100 जानें’ का गणित भी सिखाया; कालेधन का सांप दिखाते-दिखाते, मदारी ने सौ जानें ले ली। राजनीति की कॉमेडी, असल में ट्रेजडी होती है।
आगे लेखक कहता है, हमारा देश गांधी का देश है, गांधी मतलब, लोकतंत्र की आंधी: बदलाव की हर पटकथा, जनसैलाब ही लिखती है।–अधिक से अधिक संख्या में मतदान करें,
“सुनो, ऐ सरकारें हत्यारी,
तुम, जाने की, करो तैयारी।।
कण-कण में हम आंधी हैं,
हम भारत के, गांधी हैं।।
लोकतंत्र का एक निशान,
जन-गण-मन का करो, सम्मान।।
लोकतंत्र की एक कसौटी,
कण-कण फैले जीवन-ज्योति।।”
“जमीर जो कहे, वही कर,
जालिम कहाँ डरता है जो, तू किसी से डर।।
हर तूफान को पता है, हम आसमान हैं,
वक्त के सीने पर मुकम्मल निशान हैं;
अपने रास्ते पर चल, हर रंग तेरी है,
ये धरती तेरी है, ये गगन तेरी है,
हर गुल तेरी है कि, ये गुलशन भी तेरी है।।
जमीर जो कहे, वही कर,
जालिम कहाँ डरता है जो, तू किसी से डर।।”
,,प्रस्तुत अंश राकेश कुमार जी की पुस्तक ‘भारतीय राजनीति में एलियन इरा’ से उद्धृत है।।
तुम, जाने की, करो तैयारी।।
कण-कण में हम आंधी हैं,
हम भारत के, गांधी हैं।।
लोकतंत्र का एक निशान,
जन-गण-मन का करो, सम्मान।।
लोकतंत्र की एक कसौटी,
कण-कण फैले जीवन-ज्योति।।”
“जमीर जो कहे, वही कर,
जालिम कहाँ डरता है जो, तू किसी से डर।।
हर तूफान को पता है, हम आसमान हैं,
वक्त के सीने पर मुकम्मल निशान हैं;
अपने रास्ते पर चल, हर रंग तेरी है,
ये धरती तेरी है, ये गगन तेरी है,
हर गुल तेरी है कि, ये गुलशन भी तेरी है।।
जमीर जो कहे, वही कर,
जालिम कहाँ डरता है जो, तू किसी से डर।।”
,,प्रस्तुत अंश राकेश कुमार जी की पुस्तक ‘भारतीय राजनीति में एलियन इरा’ से उद्धृत है।।
इसके साथ ही नीचे लिखा है आपकी चंद्रकला।
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