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अटल बिहारी वाजपेयी की यह बात सुनकर Independece Day के अगले दिन दिल्‍ली में जमा हो गई थी लाखों की भीड़

दिल्‍ली के एम्‍स में लाइफ सपोर्ट सिस्‍स्‍टम पर हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

नोएडाAug 16, 2018 / 11:35 am

sharad asthana

अटल बिहारी वाजपेयी की यह बात सुनकर 16 अगस्‍त को दिल्‍ली में जमा हो गई थी हजारों की भीड़

नोएडा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत काफी नाजुक है। कई केंद्रीय मंत्री और ग्‍वालियर से पूर्व प्रधानमंत्री के रिश्‍तेदार भी गुरुवार सुबह ही दिल्‍ली के एम्‍स पहुंच गए हैं। वहां उनकी तबीयत बिगड़ने की खबरों के बीच बुधवार देर शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एम्स पहुंचे थे। पिछले 36 घंटे से उनकी सेहत काफी खराब है। वह अभी लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर हैं। वहीं, मेरठ समेत पूरे देश में उनके जल्‍द स्‍वस्‍थ हाेने के लिए दुआ की जा रही है। अटल बिहारी वाजपेयी का भारत के इतिहास में योगदान कोई भुला नहीं सकता।
देखें वीडियो: Geet naya gata hu ,full poem – atal bihari vajpayee

कई बार अाना हुआ मेरठ

गौरतलब है कि मेरठ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कई बार आना-जाना हुआ। यहां उन्‍होंने जो संबोधन दिया, उसका हजारों युवाओं पर काफी असर पड़ा। जब भी वह मरेठ आते थे तो उन्‍हें सुनने के लिए लोगों की भरी भीड़ जमा हो जाती है। मेरठ से जुड़ी उनकी कुछ यादों को संघ प्रचारक अजय मित्तल ने पत्रिका टीम के साथ सांझा किया था। पेश हैं उसके कुछ अंश:
देखें वीडियो: 15th August Best speech of Atal Bihari Vajpayee

1965 में आए थे मेरठ

अटल बिहारी वाजपेयी 1965 में मेरठ आए थे। उस समय लाल बहादुर शास्त्री सरकार ने पाकिस्तान से एक समझौता किया था। इस समझौते के तहत करीब दो हजार वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिया गया था। लाल बहादुर शास्‍त्री सरकार के विरोध में जनसंघ समर्थन जुटा रहा था। इसी योजना के तहत अटल बिहारी वाजपेयी को मेरठ भेजा गया था। उस समय उनकी आम्र करीब 40 वर्ष होगी। मेरठ में उन्‍होंने जो जोरदार दिया था, उसका असर युवाओं पर देखने को मिला। इसका यह असर हुआ था कि हजारों लोग स्‍वतंत्रता दिवस के अलगे दिन 16 अगस्त को सरकार के खिलाफ दिल्ली पहुंच गए थे।
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जनता पार्टी से टिकट के लिए थी मारामारी

फिर बात 1974 की है। उस समय उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी। उस समय वाजपेयी मेरठ के जिमखाना मैदान में आए थे। जनसंघ और भाजपा ने वाजपेयी को यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया था। पूरे प्रदेश में उनके नाम के पोस्टर लगे हुए थे। उस समय एक नारा दिया गया था, अटल के सकल हाथों में होगी प्रदेश की बागडोर। यह काफी चर्चित हुआ था। इसके बाद 1977 में विधानसभा भंग हो गई। दोबारा चुनाव की आशंका के बीच वह फिर मेरठ पहुंचे थे। इस दौर में कई पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई थी। टिकट लेने के लिए दावेदारों कली लाइन लगी हुई थी। यह देखकर वाजपेयी ने कहा था, टिकट के लिए ऐसी मारामारी पहले कभी नहीं देखी, पार्टी का अनुशासन तार तार हो गया है। जनता पार्टी के टिकट पर जो भी लड़ेगा वह जीत ही जाएगा।

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