न्यूक्लियर टेस्ट- 1998 में अटल सरकार के सत्ता में आने के सिर्फ 1 महीने बाद उनकी सरकार ने मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में 5 अंडरग्राउंड नूक्लियर का सफल परीक्षण करवाया। यह परमाणु परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा, जिसकी चर्चा देश विदेश में भी जोरों पर रही। अटल विहारी वाजपेयी के फैसले ने भारत के साथ ही सरकार को ही बड़ी उपलब्धि दी। कारगिल युद्ध व आतंकवादी हमले के दौरान अटल जी द्वारा लिए गए निर्णय, उनकी लीडरशिप व कूटनीति ने सबको प्रभावित किया जिससे उनकी छवि सबके सामने उभर कर आई।
1999 में पाकिस्तान की बढ़ती हिमाकत को जवाब देने के लिए अटल विहारी सरकार ने बड़ा फैसला लिया। तत्तकालिन अटल सरकार को जब इस बात की जानकारी मिली कि पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया। इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गए।
स्वर्णिम चतुर्भुज और ग्राम सड़क योजना- अटल विहारी सरकार ने ही भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की। इसके अंतर्गत नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (NHDP) शुरू किया गया। इसके अंतर्गत देश के मुख्य शहर दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता को सड़क मार्ग से आपस मे जोड़ने का काम किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) शुरु की जो उनके दिल के बेहद करीब थी, वे इसका काम खुद देखते थे। PMGSY के द्वारा पूरे भारत को अच्छी सड़कें मिली, जो छोटे छोटे गांवों को भी शहर से जोड़ती।
सर्व शिक्षा अभियान को 2001 में लॉन्च किया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जानी थी। इस योजना के लॉन्च के 4 सालों के अंदर ही स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या में 60 प्रतिशत की गिरवाट देखने को मिली थी।
वाजपेयी सरकार अपनी नई टेलिकॉम पॉलिसी के तहत टेलिकॉम फर्म्स के लिए एक तय लाइसेंस फीस हटाकर रेवन्यू शेयरिंग की व्यवस्था लेकर लाई थी। जिसके लिए पॉलिसी बनाने और सर्विस के प्रविश़न को अलग करने के लिए इस दौरान भारत संचार निगम का गठन किया गया। वाजपेयी की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेलिफोनी में विदेश संचार निगम लिमिटेड के एकाधिकार को पूरी तरह खत्म कर दिया था।