उन्होंने कहा कि स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते रहे हैं कि वो आम्रपाली घर खरीददार के साथ हैं। वहीं दूसरी तरफ प्राधिकरण खुद अपनी ही तिजोरी भरने में लगा है। दस साल से घर खरीदार घर नहीं मिलने के वजह से दोहरी मार झेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे बायर्स की समस्या से प्राधिकरण को कोई सरोकार ही नहीं। प्राधिकरण के इस रवैये के खिलाफ नेफोवा सदस्यों तथा आम्रपाली फ्लैट ख़रीदारों ने ट्विटर पर भी जमकर विरोध दर्ज किया।
आम्रपाली के फ्लैट खरीदार तथा नेफोवा उपाध्यक्ष दीपांकर कुमार ने कहा कि “एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी” यह मुहावरा नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों पर पूरी तरह से फिट बैठता है। वर्षों तक बिल्डर से मोटी रकम ऐंठने और भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारीगण अब घर खरीददार से बकाया रकम वसूलना चाहते है।
नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा कि प्राधिकरण के इस अर्जी के खिलाफ नेफोवा कोर्ट में एप्लीकेशन फ़ाइल करेगी। उन्होंने प्राधिकरण के दोहरे रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट रिसीवर आम्रपाली प्रोजेक्ट के FAR बेचने की कोशिश करे जिससे आवश्यक फंड इकट्ठा करके सभी प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जा सके तो अथॉरिटी उस पर रोक क्यूं लगाना चाहती है।