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यह सम्मेलन 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक किए जाएंगे। किस विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन किस तारीख को होगा। इसको 25 सितंबर तक तय कर हाईकमान को बताना होगा। समाजवादी पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कार्यकर्ताओं को 2019 की तैयारी की जानकारी देना, विरोधी दलों और घर के भीतर से संभावित होने वाले नुकसान की जानकारी से होशियार करने का काम सम्मेलन में किया जाएगा। यादव परिवार की कलह में शिवपाल और अखिलेश की जुदा हुई राजनीतिक राहें अब एक दूसरे पर हमले का सहारा बनने जा रही हैं। चाचा-भतीजे की इस सियासी लड़ाई पर दूसरे राजनीतिक दलों और राजनीति के बारे में जानकारी रखने वालों की नजर रहेगी। दिलचस्प बात यह है कि जब भी चाचा-भतीजे में अदावत हुई, जंग का मैदान पश्चिमी यूपी ही रहा है।
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2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी पर कब्जे को लेकर हुई लड़ाई में भी शिवपाल और अखिलेश यादव ने अपनी-अपनी लिस्ट में सबसे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर ही प्रत्याशियों का ऐलान किया था। हालांकि बाद में अखिलेश यादव ने सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल यादव द्वारा घोषित अधिकांश प्रत्याशियों के टिकट काट दिये थे। इसके बाद शिवपाल यादव का लगातार पार्टी में कद कम होता चला गया। इसके बाद पार्टी में लगातार उपेक्षित होने से शिवपाल यादव ने आखिरकरा पिछले महीने अपने अलग संगठन समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का ऐलान कर दिया। अब उनकी कोशिश है कि सपा के सारे असंतुष्ट नेता सेक्युलर मोर्चा में शामिल होकर आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएं।