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सूत्रों के मुताबिक इस बार दोनों पिता-पुत्र अपना संसदीय क्षेत्र बदलने की तैयारी में हैं। इसके तहत जयंत चौधरी कैराना से व चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि महागठबंधन की स्थिति में दोनों पिता पुत्र अपना संसदीय क्षेत्र बदल सकते हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि कैराना और नूरपुर उपचुनाव में महागठबंधन की सफलता के बाद दोनों पिता अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। साथ ही बीते उपचुनाव में उनका बिखरा हुआ जाट-मुस्लिम वोट बैंक भी फिर से पार्टी से जुड़ गया है।
सूत्रों के मुताबिक इस बार दोनों पिता-पुत्र अपना संसदीय क्षेत्र बदलने की तैयारी में हैं। इसके तहत जयंत चौधरी कैराना से व चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि महागठबंधन की स्थिति में दोनों पिता पुत्र अपना संसदीय क्षेत्र बदल सकते हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि कैराना और नूरपुर उपचुनाव में महागठबंधन की सफलता के बाद दोनों पिता अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। साथ ही बीते उपचुनाव में उनका बिखरा हुआ जाट-मुस्लिम वोट बैंक भी फिर से पार्टी से जुड़ गया है।
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कैराना उपचुनाव में जहां पार्टी प्रत्याशी तबस्सुम हसन को शानदारी जीत मिली वहीं पार्टी का 16वीं लोकसभा में खाता भी खुला। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के दौरान पार्टी मुखिया चौधरी अजीत सिंह व जयंत चौधरी खुद अपनी सीटों से चुनाव हार गए थे और पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। इसका प्रमुख कारण यह भी माना जाता है कि इस चुनाव में मुजफ्फरनगर दंगे की वजह से रालोद का मूल वोट बैंक जाट व मुस्लिम उससे छिटक गया था, जिसका लाभ बड़े पैमाने पर मोदी लहर पर सवार भाजपा को हुआ। आपको बता दें कि इससे पहले चौधरी अजीत सिंह बागपत लोकसभा व जयंत चौधरी मथुरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं। इस बार उनका संसदीय क्षेत्र बदलना खास रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।