नोएडा

Special: Holi पर सुंओं और तलवार से शरीर को बींधते हैं लोग, 200 वर्षों से चली आ रही अनोखी परंपरा

Highlights:
-मेरठ शहर से करीब 12 किमी की दूरी पर बिजौली गांव मौजूद है
-गांववालों की मानें तो यह परंपरा करीब 200 वर्षों से चली आ रही है
-होली के त्योहार को अनोखे ढंग से यहां मनाया जाता है

नोएडाMar 06, 2020 / 03:58 pm

Rahul Chauhan

राहुल चौहान@Patrika.com
नोएडा/मेरठ। रंगों का त्योहार होली इस वर्ष 9 और 10 मार्च को मनाया जाएगा। इस त्योहार को मनाने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में तरह-तरह की परंपराए और रीति-रिवाज हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। लेकिन, वेस्ट यूपी का एक गांव भी है, जहां होली के त्योहार पर लोग रंग का नहीं बल्कि सुंओं और तलवारों का इस्तेमाल करते हैं।
यह भी पढ़ें

होलिका बुआ और भतीजा प्रहलाद इस बार होली को बनाएंगे पर्यावरण फ्रेंडली

दरअसल, मेरठ शहर से करीब 12 किमी की दूरी पर बिजौली गांव मौजूद है। ग्रामीणों की मानें तो होली के दिन गांव वाले अपने शरीर को सुंओं से बींधते हैं। साथ ही अपने पेट में तलवार भी बांधते हैं। इसके बाद दुल्हैंडी की शाम को गांव में तख्त निकालने की भी परंपरा है। जिसमें स्थानीय लोग शामिल होते हैं और हर्षोल्लास से होली का त्योहार मनाते हैं। गांववालों की मानें तो यह परंपरा करीब 200 वर्षों से चली आ रही है और इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
ग्रामीणों का दावा है कि 200 वर्ष पहले उनके गांव बिजौली में एक बाबा आए थे और उन्होंने ही दुल्हैंडी पर इस परंपरा की शुरुआत की थी। गांव में बाबा की समाधि भी मौजूद है और वहां पर अब एक मंदिर भी बना दिया गया है। तभी से गांव में शरीर को बींधकर तख्त निकालने की परंपरा चलन में आई और इसे आज तक भी उसी प्रकार जारी रखा गया है। मान्यता है कि इन तख्तों को गांव में न निकाला जाए तो गांव में प्राकृतिक आपदा आ सकती है।
यह भी पढ़ें

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से फिर लौटी ठंड, होली से पहले इतना गिरेगा तापमान

गांव की लगाते हैं परिक्रमा

बताया जाता है कि पूर्व में गांव में सिर्फ एक ही तख्त निकाला जाता था। लेकिन, मौजूदा समय में गांव में सात तख्त निकाले जाते हैं। एक तख्त पर तीन लोग अपने शरीर को बींधकर खड़े रहते हैं और एक आदमी उनकी देखभाल के लिए रहता है। इस दौरान तख्त पर मौजूद लोग रंग-बिरंगे कपड़ों में होते हैं और तख्त को अच्छे से सजाया जाता है। तख्त के साथ-साथ गांव वाले होली के गीतों पर झूमते हुए बुद्ध चौक से निकलते हुए पूरे गांव की परिक्रमा लगाते हैं। परिक्रमा के समय तख्त पर लोग गुड़, आटा, रुपये और चादर चढ़ाते हैं। इस दौरान जो भी चढ़ावा आता है, उसे बाबा की समाधि पर बनाए गए मंदिर में चढ़ाया जाता है।
imgonline-com-ua-twotoone-bsx0jzn7ub1h72.jpg
हैरान करने वाला होता है नजारा

जिस तरह के रीति-रिवाज का चलन इस गांव में है वह किसी को भी हैरान कर सकता है। कारण, होली मनाने के लिए लोग अपने शरीर की खाल में छुरी घोंपते हैं, मुंह और और बाजुओं के बीच से सुंए गाड़ लेते हैं। साथ ही पेट में तलवार भी बांधते हैं। ताज्‍जुब की बात तो ये है कि होलिका दहन के एक दिन यानी दुल्हैंडी पर होने वाली इस परंपरा से जो लोग अपने शरीर को बींधते हैं वह अपने शरीर पर होली की राख लगाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें जख्मों के दर्द को सहन करने की शक्ति मिलती है।

Hindi News / Noida / Special: Holi पर सुंओं और तलवार से शरीर को बींधते हैं लोग, 200 वर्षों से चली आ रही अनोखी परंपरा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.