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प्रतिबंध के बाद भी देर रात तक पटाखे चलाए गए। लोगों ने खुले आम एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ायी। पटाखे छुटाने के कारण कई इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स(AQI) घातक स्तर पर रहा। मेरठ,गाजियाबाद,नोएडा हापुड,बुलंदशहर आदि जिलों में खुलेआम पटाखे जलाए गए। देर रात तक लगातार आतिशबाजी होती रही। जिसके कारण सड़कों पर पटाख़े का कचरा भी देखा गया। वातावरण में पटाखों के कारण चारों तरफ धुंध छाई रही। रात में तो एक बारगी गाजियाबार का एक्यूआई 450 से भी ऊपर पहुंच गया था। एक्यूआई लेवल अगर 400 के ऊपर चला जाए तो इसका मतलब सांस की बीमारी वालों के लिए बेहद खतरनाक होता है। कोरोना काल में ये और भी ज्यादा डराने वाला रहा था। मेरठ ही नहीं दिल्ली और पूरे एनसीआर की ही ऐसी हालत थी। नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम हर तरफ रात भर खूब पटाखे जलाए और पूरा इलाका धुआं-धुआं हो गया।
हालांकि एनजीटी ने भी पटाखों के बेचने और जलाने पर सख्ती की थी। लेकिन उसके बाद भी जमकर आतिशबाजी हुई। एनजीटी ने नियम तोड़ने वालों पर एक लाख रुपए तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया था। लेकिन दीवाली पर पश्चिमवासियों और एनसीआर के लोगों ने नियमों को ताक पर रखकर जमकर पटाखे जलाए।