ग्रेटर नोएडा के चाई-3 में अद्वैतबोधस्थल नाम से आचार्य प्रशांत का केंद्र है। इसकी खास बात यह है कि यहां पर छात्रों को प्राचीन हिंदू ग्रंथों व उपनिषदों की शिक्षा दी जाती है। इस बारे में प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य प्रशांत कहते हैं कि आज की पीढ़ी वैदिक संस्कृति और शास्त्रों से कट चुकी है। उन्हें फिर से भारत और विश्वभर के उच्चतम आध्यात्मिक साहित्य से जोड़ने की प्रक्रिया में _’ऑनलाइन एजुकेशन’_ की अहम भूमिका है। उनका मानना है कि आज का मनुष्य जितना मानसिक तौर पर बीमार है, उतना कभी न था। सभी मानसिक, सामाजिक और वैश्विक बीमारियों का इलाज उपनिषदों, गीता और अन्य शास्त्रों के अध्ययन से संभव है। दुनिया के हर कोने में, हर व्यक्ति तक, इन शास्त्रों का ज्ञान पहुंचाने के लिए प्रशांतअद्वैत फाउंडेशन २० से अधिक _कोर्स_ चला रही है।
उन्होंने बताया कि जीवन जिज्ञासा, शास्त्र कौमुदी, अद्वैत बोध शिविर, उपनिषद समागम और शांतिपूर्ण जीवन, प्रमुख _कोर्स_ हैं। इनमें प्राचीन ग्रंथ जैसे श्रीमद्भगवदगीता, रामचरितमानस, अष्टावक्र-गीता, उपनिषद (कठ, केन, ईशावास्य) आदि पढ़ाए जाते हैं। उनके यहां हर माह 500 से 700 विद्यार्थी प्राचीन भारतीय संस्कृति से रूबरू होते हैं। जबकि साल में इनकी संख्या 6000 से 7000 है। विदेशी छात्रों को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी में भी इन ग्रंथों को पढ़ाया जाता है। उनका कहना है कि भविष्य में अन्य भाषाओं में इनका अनुवाद किया जाएगा। इस पर भी काम चल रहा है।
बता दें कि आचार्य प्रशांत वर्ष 2006 से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। 42 वर्षीय आचार्य लोगों तक भारतीय संस्कृति पहुंचाने के लिए _सोशल मीडिया_ का भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए वह फेसबुक और यूट्यूब का सहारा लेते हैं। वह आईआईटी, दिल्ली और आईआईएम, अहमदाबाद से उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद शास्त्रों के माध्यम से लोगों को प्राचीन संस्कृति से जोड़ रहे हैं।