scriptBlind Crime: एक ऐसा केस जो 11 साल बाद भी बना हुआ है देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री, CBI तक हो गई ‘फेल’ | aarushi talwar full case study in hindi | Patrika News
नोएडा

Blind Crime: एक ऐसा केस जो 11 साल बाद भी बना हुआ है देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री, CBI तक हो गई ‘फेल’

खबर की मुख्य बातें-
-नोएडा का चर्चित और हाईप्रोफाइल आरुषि मर्डर केस (aarushi talwar case study)
-15 मई 2008 की देर रात में हुए डबल मर्डर की गुत्थी आज तक भी नहीं सुलझ पाई है (double murder mystry)
-पुलिस से लेकर सीबीआई तक इस मामले की जांच कर चुकी है (Aarushi murder case)

नोएडाSep 06, 2019 / 08:48 pm

Rahul Chauhan

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नोएडा। एक ऐसा केस जो सुलझता ही नहीं। जो आज 11 साल बाद भी देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री (Murder Mystry) बना हुआ है। ये है नोएडा का चर्चित और हाईप्रोफाइल आरुषि मर्डर केस (aarushi talwar case study)। सेक्टर-25 स्थित जलवायु विहार में 15 मई 2008 की देर रात में हुए डबल मर्डर (double murder mystry) की गुत्थी आज तक भी नहीं सुलझ पाई है। पुलिस से लेकर सीबीआई तक इस मामले की जांच कर चुकी है।
बावजूद इसके इन दोनों हत्याओं का आरोपी कौन है, ये अभी भी हर किसी के लिए बड़ा सवाल बना हुआ है। एक तरफ नोएडा पुलिस ने आरुषि (Aarushi Talwar) के माता-पिता को ही आरोपी बना दिया था तो वहीं सीबीआई की पहली टीम ने अपनी जांच में तीन नौकरों को आरोपी बनाया था। इसके बाद सीबीआई की दूसरी टीम ने तलवार दंपति को ही आरोपी बताया था।
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जानें, कब क्या हुआ…

16 मई 2008 को राजेश और नूपुर तलवार की बेटी का शव उसके ही बेडरूम में मिला, पुलिस को शक था कि उनके नौकर हेमराज ने ही हत्या की है।
17 मई 2008 की सुबह जब नौकर हेमराज का भी शव घर की छत पर मिला तो पूरी जांच की दिशा ही बदल गई। तलवार दंपति ने हरिद्वार में आरुषि का अंतिम संस्कार किया।
18 मई 2008 को पुलिस ने कहा कि दोनों हत्याएं बेहद सफाई से की गईं। साथ ही पुलिस ने माना की हत्या में परिवार से जुड़े किसी व्यक्ति का हाथ।

19 मई 2008 को तलवार दंपति के पूर्व घरेलू नौकर विष्णु शर्मा पर भी पुलिस ने शक जाहिर किया।
21 मई 2008 को उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ ही दिल्ली पुलिस भी हत्या की जांच में शामिल हुई।

22 मई 2008 को आरुषि हत्याकांड की ऑनर किलिंग के एंगल से जांच शुरू होने पर परिवार संदेह के घेरे में आ गया। पुलिस ने आरुषि के लगातार संपर्क में रहे एक नजदीकी दोस्त से भी पूछताछ की। जिससे आरुषि ने 45 दिनों में 688 बार फोन पर बात की थी।
23 मई 2008 को आरुषि के पिता राजेश तलवार को आरुषि-हेमराज हत्याकांड के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।

1 जून 2008 को पुलिस की जांच पर सवाल उठने के बाद सीबीआई ने मामले की जांच की जिम्मेदारी संभाली।
13 जून 2008 को राजेश तलवार के एक और घरेलू नौकर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।

20 जून 2008 को दिल्ली के सीएफएसएल में राजेश तलवार का लाई डिटेक्टर टेस्ट किया गया।
25 जून 2008 को आरुषि की मां नूपुर तलवार का दूसरा लाई डिटेक्टर टेस्ट किया गया। उनका पहला लाई डिटेक्शन टेस्ट अधूरा रहा था।

26 जून 2008 को सीबीआई ने इस मामले को ‘ब्लाइंड केस’ घोषित किया। आरूषि और हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार राजेश तलवार को गाजियाबाद में विशेष मजिस्ट्रेट अदालत ने जमानत देने से इनकार किया।
3 जुलाई 2008 को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के नारको परीक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज किया।

12 जुलाई 2008 को राजेश तलवार को जमानत मिली

5 जनवरी 2010 को सीबीआई ने तलवार दंपति का नारको परीक्षण करने के लिए अदालत में अपील दायर की।
29 दिसंबर 2010 को सीबीआई ने मामले को बंद करने के लिए कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की। तलवार परिवार के तीनों घरेलू नौकरों को क्लीनचिट सीबीआई ने क्लीनचिट दी। साथ ही सीबीआई ने आरुषि के माता-पिता का हाथ होने का शक भी जताया।
03 जनवरी 2011 को गाजियाबाद अदालत में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट की वैधता पर सुनवाई हुई।

25 जनवरी 2011 को राजेश तलवार पर गाजियाबाद की अदालत के परिसर में उत्सव शर्मा नाम के एक युवक ने हमला किया।
9 फरवरी 2011 को अदालत ने सीबीआई की क्लोजिंग रिपोर्ट का संज्ञान लिया। आरुषि के माता-पिता पर हत्या करने और साक्ष्यों को मिटाने का आरोप लगाया।

21 फरवरी 2011 को दंपती ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपील की। हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी और ट्रायल कोर्ट को इनके खिलाफ सुनवाई शुरू करने के आदेश दिए।
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19 मार्च 2011 को सुप्रीम कोर्ट गए। वहां भी राहत नहीं मिली।

23 मार्च 2011 को हेमराज की पत्नी खुमकला बंजाड़े सीबीआई कोर्ट पहुंची और अपना बयान दर्ज करने की अर्जी दाखिल की। खुमकला ने आरोप लगाया कि उसके पति की हत्या तलवार दंपति ने ही की थी।
11 जून 2012 को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस लाल ने की।

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26 नवंबर 2013 को नूपुर और राजेश तलवार को उम्रकैद की सजा। जस्टिस एस लाल ने 208 पेज का जजमेंट सुनाया था।
12 अक्टूबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में दोनों को बरी कर दिया

अगस्त 2018 को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।
-अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

-आरुषि के माता-पिता हर साल 16 मई को बेटी की याद में ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन करते हैं।

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