नोएडा। सातवें वेतन आयोग को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो एक अगस्त को केंद्रीय कर्मचारियों के अकाउंट में सातवें वेतन आयोग के हिसाब से सैलरी पहुंचेगी। जिस तरह से आयोग ने सिफारिशें की हैं उससे कुल वेतनवृद्धि सकल वेतन (मूल वेतन और डीए तथा भत्ते) 22 से 23 प्रतिशत हो सकती है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू होंगी। चेयरमैन के अलावा आयोग के सदस्यों में 1978 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विवेक राय, अर्थशास्त्री रथिन राय शामिल हैं और मीना अग्रवाल आयोग की सचिव हैं। केंद्र सरकार प्रत्येक 10 साल बाद अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन के लिए वेतन आयोग का गठन करती है। आमतौर पर राज्यों द्वारा भी कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाया जाता है। छठा वेतन आयोग 1 जनवरी, 2006 से लागू हुआ था। इस बारे में जब केंद्रीय कर्मचारी राजेंद्र शर्मा से बात की गर्इ तो उन्होंने पूरा स्ट्रक्चर समझाने की कोशिश की। कुछ इस तरह है फाॅर्मूला अगर अभी आपका बेसिक वेतन है – 8730 रुपए डीए 119 फीसदी – 10389 रुपए HRA 20% – 1746 रुपए TA 400 – 857 रुपए TOTAL – 21722 रुपए अगर सरकार 50 फीसदी DA बेसिक में मर्ज करती है तो 8730 + 4365 = 13095 बेसिक = 13095 DA 69% = 9035 HRA 20% = 2619 TA 800 = 1800 ( क्योंकि बेसिक 9800 के बाद TA डबल हो जाता है) TOTAL = 26549 / पूरा वेतन पहले वाला = 21722 50% DA मर्ज के बाद वेतन = 26549 26549-21722 = 4827 15% बढ़ोतरी होने पर इतनी बढ़ेगी सैलरी 21722×15÷100 = 3258 21722×20÷100 = 4344 21722×30÷100 = 6516 हर दस साल में बढ़ती है सैलरी अगर सरकार हमारी बेसिक में ही DA का 50% मर्ज कर दे तो केंद्रीय कर्मचारियों को 20 फीसदी से ज्यादा वेतन मिलेगा। केंद्रीय कर्मचारियों को 10 साल में एक बार वेतनमान मिलता है। केंद्रीय कर्मचारियों की मानें तो इस फाॅर्मूले के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में काफी कम बढ़ोतरी होगी। नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर सेंट्रल गवर्नमेंट के एक अधिकारी ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में हर साल 15 से 20 फीसदी सैलरी बढ़ती है। अब तो वाे प्राइवेट सेक्टर में भी वो सभी सुविधाएं आैर अलाउंस मिल रहे हैं, जो सरकारी अधिकारियों को मिल रहे हैं। एेसे में आने वाला वेतन आयोग में आैर भी सैलरी बढ़नी चाहिए। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने की सिफारिश लागू करने के बाद केंद्र सरकार पर 25 हजार से 38 हजार करोड़ का बोझ बढ़ेगा।