नोएडा। पिछले एक साल से सातवें वेतन आयोग की बात चल रही है। वहीं कुछ दिनों से इस बात काे आैर भी हवा मिली है। कहा जा रहा है कि अगस्त में सरकारी कर्मचारियों के अकाउंट में नए पे ग्रेड के अनुसार सैलरी पहुंच जाएगी, लेकिन आपको पता है कि पहला पे कमिशन कब लागू हुआ था और उसमें मूल वेतन कितना रखा गया था। किस पे कमिशन के मूल वेतन में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुर्इ। आइए आपको भी बताते हैं… तब मात्र 35 रुपए था मूल वेतन पहला वेतन आयोग आजादी से एक साल पहले 1946 में लागू हुआ था। उस वक्त अंग्रेजों ने अपने कर्मचारियों आैर अधिकारियों की सुविधा को देखते हुए 35 रुपए मूल वेतन रखा था। जिसमें बाकी के अलाउंस अलग से हुआ करते थे। हर दस साल में आने वाले इस वेतन आयोग में इस बार सातवें को लागू करने करने की तैयारी हो रही है। तब से अब तक जिस तरह से समय बदला उसी प्रकार सरकारी कर्मचारियों के वेतन में भी काफी परिवर्तन हुए। आज मूल वेतन में कर्इ सौ गुना का अंतर आ चुका है। अगर बात छठे वेतन आयोग की करें तो मूल वेतन 7,730 है। अब आप पहले वेतन आयोग के हिसाब से अंदाजा लगा सकते हैं। वहीं सातवें वेतन आयोग में मूल वेतन में 18000 से 25000 रुपए तक करने की मांग की जा रही है। इस वेतन आयोग में दिखा अंतर नोएडा में रहने वाले सेंट्रल गवर्नमेंट से रिटायर पीके मिश्रा ने बताया कि सैलरी बढ़ने को लेकर सबसे बड़ी क्रांति या यूूं कहें कि कर्मचारियों की जिंदगी बदल दी थी वो था पांचवां वेतन आयोग। इस आयोग ने मूल वेतन में काफी बड़ा अंतर पैदा कर दिया था। चौथे वेतन आयोग में मूल वेतन मात्र 950 रुपए था। जिसे पांचवें में बढ़ाकर 3050 रुपए कर दिया गया था। इस तरह की बढ़ोतरी कभी नहीं देखी गर्इ थी। इस वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों की जीवनशैली बदलने में अहम भूमिका निभार्इ थी। कब आैर कितनी बढ़ी केंद्रीय कर्मियों की सैलरी – 1946 में पहला वेतन आयोग। – 69 साल पहले साल 1946 में जो पहला वेतन आयोग था उसने 35 रुपए मूल वेतन तय किया था। – 1959 में दूसरे वेतन आयोग ने इसे बढ़ाकर 80 रुपए कर दिया। – 1973 में मूल वेतन 260 रुपए पहुंचा। – 1986 में चौथा वेतन आयोग ने 950 रुपए किया गया। – आजादी के बाद सबसे बड़ी बढ़ोतरी पांचवें वेतन आयोग ने की और मूल वेतन 3050 रुपए तय किया गया। – जिसे छठे वेतन आयोग ने 2006 में बढ़ाकर 7,730 रुपए कर दिया था।