नोएडा

नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने में खर्च होंगे सात करोड़, विदेशी एजेंसी की लेनी होगी मदद

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को गिराने के लिए अमेरिका या यूरोप की एजेंसी से मदद लेगी।

नोएडाSep 15, 2021 / 05:36 pm

Nitish Pandey

नोएडा. उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के नोएडा के सेक्टर-93 ए में स्थित सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के दोनों अवैध टावर को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। बीते सोमवार को सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने नोएडा पहुंचकर टावर की जांच की। बताया जा रहा है कि दोनों टावर को गिराने में करीब 5-7 करोड़ रुपए का खर्च आ सकता है।
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विदेशी एजेंसी की लेनी होगी मदद

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को गिराने के लिए अमेरिका या यूरोप की एजेंसी से मदद लेगी। बीते सोमवार को सीबीआरआई के निदेशक और उनकी टीम ने मौके पर पहुंचकर बिल्डिंग का निरीक्षण किया। साथ ही इन दोनों टावर के साथ-साथ आसपास की दूसरी रिहायशी इमारतों का स्ट्रक्चर, फाउंडेशन और सरियों के डिजाइन का भी प्लान मांगा है।
कई वास्तुविद, 15 इंजीनियर और 5 आईएएस पर हो सकती है कार्रवाई

वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद इस मामले में जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी। जांच कर रही टीम ने अपनी रिपोर्ट करीब-करीब तैयार कर ली है। बताया जा रहा है कि इस मामले में 15 अभियंताओं और वास्तुविदों पर गाज गिरना तय है। साथ ही नोएडा विकास प्राधिकरण में सीईओ के पद पर तैनात रहे पांच आईएएस अधिकारी भी घेरे में आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी सप्ताह यह रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी।
5-7 करोड़ आएगा खर्च

बताया जा रहा है कि सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को गिराने में एक-दो करोड़ नहीं बल्कि पांच से सात करोड़ से भी ज्यादा खर्च हो सकते है। कंपनी के सामने चुनौती है कि इन दोनों टावर को इस तरह से गिराया जाए कि आसपास की दूसरी बिल्डिंग को कोई नुकसान ना पहुंचे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया टावर को गिराने का आदेश

गौरतलब है कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। ये दोनों ही टावर 40-40 मंजिला के हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये टावर नोएडा विकास प्राधिकरण और सुपरटेक बिल्डर की मिलीभगत से बने थे। उधर, एसआईटी भी अपनी रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है। एसआईटी की टीम को बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण से कुछ और जानकारियों की जरूरत थी, इसके बाद फाइनल रिपोर्ट पेश की जाएगी।
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