इसके साथ ही पुलिस कमिश्नर ने निर्देश दिया है कि बीट पुलिसकर्मियों द्वारा स्थानीय नागरिकों को तीनों कानूनों के बारे में जागरूक किया जाए और आगे की सभी वैधानिक कार्रवाई नए कानूनों के तहत प्रक्रियाओं का पालन करते हुए की जाए। नए कानून के तहत लोगों को बदलाव के बारे में नहीं पता है। इसलिए, उन्हें जागरूक करने की यह कवायद शुरू की गई है।
तीन साल में मिलेगा पीड़ित को न्याय
गृह मंत्रालय के मुताबिक नए कानूनों के तहत तीन साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल सकेगा। ये कानून संसद ने पिछले साल शीतकालीन सत्र में पारित किए गए थे। इन्होंने देश में ब्रिटिश राज से चले आ रहे इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और एविडेंस एक्ट का स्थान लिया है। नए कानून में बलात्कार के लिए धारा 375 और 376 की जगह धारा 63 होगी। सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी। लोकसभा ने इन तीनों विधेयकों को 20 दिसंबर और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को पारित किया था।