सीएमओ ने बताया कि जनपद में यथार्थ, फोर्टिस, कैलाश और जेपी आदि अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इन अस्पतालों में मरीजों के उपचार की दर निर्धारित है। अस्पताल प्रबंधक प्रोटोकॉल के तहत ही मरीजों का इलाज करने का दावा करते हैं। लेकिन, कई बार यह शिकायत आती है कि अस्पताल प्रबंधन मरीजों का इलाज ठीक तरह से नहीं कर रहे हैं। इलाज का खर्च भी ज्यादा लेने की शिकायतें आ रही थीं। उन्होंने बताया कि इस शिकायत के चलते उत्तर प्रदेश शासन ने निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है।
डॉ. दीपक ओहरी ने बताया कि शासन स्तर से बनाई गई कमेटी में जिलाधिकारी का एक प्रतिनिधि, मुख्य चिकित्सा अधिकारी का एक प्रतिनिधि तथा एक मेडिकल कॉलेज का प्रतिनिधि शामिल है। उन्होंने बताया कि टीम का मुख्य कार्य निजी कोविड-19 अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाले उपचार पर है। टीम के सदस्य समीक्षा के दौरान प्रत्येक अस्पताल में जाकर मरीजों को मिलने वाले इलाज की स्थिति देखेंगे। मरीजों से पूछेंगे कि उपचार के नाम पर मनमाना बिल तो तैयार नहीं किया जा रहा है। कुछ अस्पतालों में मरीजों को निश्चित समय अवधि गुजरने के बाद भी जबरन भर्ती किए जाने की शिकायत मिली है। उस संबंध में भी मरीजों से जानकारी ली जाएगी।
सीएमओ ने बताया कि कई निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस की आरटी- पीसीआर और एंटीजन जांच के लिए ज्यादा पैसे वसूले जाने की शिकायते मिल रही हैं। वहीं, कुछ अस्पतालों में कोरोना की जांच व इलाज के बिल में ज्यादा वसूली की शिकायतें सामने आ रही है। इलाज के नाम पर लाखों रुपये का बिल अस्पताल में बनाया जा रहा है। यह बिल असली है या फर्जी, कमेटी इसकी भी जांच करेगी।