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नोएडा

खुशखबरी: अब घुटनों के प्रत्‍यारोपण की जरूरत नहीं, बस इस एक इंजेक्‍शन से हो जाएंगे ठीक

मेरठ के दो शोध छात्रों ने स्‍टेम सेल को अलग करने की नई तकनीक ईजाद की, जिससे घुटने के प्रत्‍याराेपण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी

नोएडाApr 18, 2018 / 02:59 pm

sharad asthana

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नोएडा। घुटनों के दर्द से पीड़ि‍त व्‍यक्ति के लिए खुशखबरी है। अभी तक जिस ऑपरेशन के लिए दो-तीन लाख रुपये लगते थे, वह अब मात्र 20 से 25 हजार रुपये में ठीक होने की उम्‍मीद जग गई है। मेरठ के दो छात्रों ने एक तरीका खोज लिया है, जिससे घुटने के प्रत्‍याराेपण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसमें बस एक इंजेक्‍शन इस समस्‍या से छुटकारा दिला देगा।
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दो छात्रों ने ईजाद की तकनीक

दरअसल, मेरठ के दो शोध छात्रों ने स्‍टेम सेल को अलग करने के लिए एक नई तकनीक ईजाद की है। उन्‍होंने यह काम एक प्रोफेसर के नेतृत्‍व में किया है। इतना ही नहीं टीम ने लैब में इस तकनीक की मदद से हड्डी, मांस और चर्बी का निर्माण भी किया। इसके बाद अब घुटनों को ट्रांसप्‍लांट कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी मतलब दो से तीन लाख का खर्चा बचा। छात्रों व प्रोफेसर का दावा है कि इसमें बस एक इंजेक्‍शन से घुटना सही हो जाएगा, जिसका खर्च मात्र 20 से 25 हजार आएगा। इस रिसर्च को पेटेंट के लिए भेजा गया है।
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इन्‍होंने की खोज

यह खोज दीपक कुमार और हर्षल कुमार ने मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एमआईईटी) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. एलिजा चक्रवर्ती के निर्देशन में की है। उन्‍होंने मानव शरीर से स्टेम सेल को अलग करने की तकनीक खोजी है। रिसर्च टीम ने एक साल्ट का इस्‍तेमाल कर एडिपोज स्टेम सेल को अलग किया है।
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क्‍या है स्टेम सेल

हम पहले आपको बताते हैं कि यह स्‍टेम सेल क्‍या होता है। हमारा शरीर बहुत सी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। स्टेम सेल्स या मूल कोशिकाएं ऐसी सेल्स होती हैं, जो विभाजित होने के बाद फिर से पूर्ण रूप धारण कर लेती हैं। इनसे शरीर के किसी भी अंग की कोशिका तैयार की जा सकती है। यह मुख्य रूप से बोनमैरो (अस्थिमज्जा) के अंदर पाई जाती हैं। इन्हें रक्त से भी प्राप्त किया जा सकता है। इनको शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। इससे हार्ट की क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की भी मरम्‍मत की जा सकती है। आजकल कई बड़े अस्‍पतालों में शिशु के गर्भनाल के रक्‍त से भी स्‍टेम सेल निकालकर उसे सुरक्षित रख लिया जाता है। इन्‍हें स्टेम सेल बैकों में -196 डिग्री तापमान पर स्टोर करके रखा जाता है। यदि कभी दुर्घटना और बीमारी के कारण किसी अंग को क्षति हो जाये तो बैंक में जमा स्टेम सेल से लैब में कोशिकाएं तैयार की जा सकती हैं, जिनको क्षतिग्रस्त अंग में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
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ऐसे की खोज

शोध करने वाले छात्रों दीपक कुमार और हर्षल कुमार ने प्रोफेसर के डायरेक्‍शन में लैब में मानव चर्बी के टिश्यू से वाइल साल्ट के माध्यम से स्टेम सेल को अलग किया। यह साल्‍ट लीवर में भी बनता है। इसके बाद छात्रों ने कई तापमान पर वाइट साल्ट की मदद से स्टेम सेल को अलग किया।
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दो हजार रुपये के वाइट सॉल्‍ट से तैयार किया गया काफी मात्रा में स्‍टेम सेल

प्रोफेसर एलिजा चक्रवर्ती का कहना है कि लैब में तैयार किए गए इस स्टेम सेल की मदद से किसी भी माध्‍यम का प्रयोग कर उस अंग विशेष का सेल तैयार किया जा सकता है। शरी के जिस अंग में कमी होगी, उसमें स्टेम सेल का इंजेक्शन देने पर वह उस पार्ट का हिस्सा बन जाएगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि सरकार इस नई तकनीक के जरिये बहुत सस्ते में लोगों को घुटने के इलाज की सुविधा दे सकती है। उनका कहना है कि उन्‍होंने दो हजार रुपये के वाइल साल्ट से काफी मात्रा में स्टेम सेल को अलग किया है। उन्‍होंने दावा किया कि इस तकनीक से 20 से 25 हजार रुपये में स्टेम सेल का इंजेक्शन घुटने में लगाकर प्रत्‍यारोपण के डर से छुटकारा मिल जाएगा।

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