शामली में मिले मटके व हांडियां सोमवार को शामली के भिक्का माजरा गांव में मिट्टी की खुदाई के दौरान सैकड़ों मटके व हांडियां मिली थीं। इनमें से हड्डी जैसी कुछ वस्तुएं मिली थीं। बताया जा रहा है कि ये मानव हड्डियां थीं। इसकी सूचना पुलिस को भी दी गई। फिलहाल पुलिस ने काम रुकवा दिया है। हालांकि, अभी तक पुरातत्व विभाग की टीम वहां नहीं पहुंची है। मटके व हांडियों में हड्डियों जैसी वस्ुतएं मिलने के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इनको मटके में क्यों रखा गया। मुस्लिम शव को दफनाते हैं, जबकि हिंदू अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर देते हैं। मौके पर अधिकारी इस बता की भी चर्चा करते दिखे कि हो सकता है प्राचीन काल में मानव अस्थियों को जमीन में दबाने की परंपरा रही हो। फोरेंसिक टीम के सदस्य महेश कुमार ने भी हड्डियों के मानव की होने की पूरी संभावना जताई है।
सिनौली में मिला था रथ व ताबूत शामली से पहले बागपत के सिनौली में हुई खुदाई में हजारों साल पुराने अवशेष मिले थे। इतिहासकारों को खुदाई के दौरान वहां से रथ, ताबूत, कंकाल और तलवारें समेत काफी सामान मिला था। इतिहासकारों ने इसे महाभारत काल से जोड़ कर देखा था और कंकाल किसी योद्धा का बताया था। इनको दिल्ली भेज दिया गया था। इसके अलावा बागपत के बरनावा और चंदायन में भी मिले प्रमाणों ने इतिहासकारों को महाभारत काल की तरफ देखने को मजबूर कर दिया था।
हड़प्पा सभ्यता से जोड़कर देखा गया था सोने को वर्ष 2000 में मुजफ्फरनगर का गांव मांडी एकदम से चर्चा में आ गया था। जिला मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर दूर बघरा ब्लाॅक में पड़ने वाले गांव मांडी में खेत से साेने-चांदी के जेवर व सिक्के मिले थे। बताते हैं कि गांव की एक महिला को सबसे पहले इस खेत में कुछ सोना मिला था। इसके बाद सूचना आग की तरह गांव में फैल गई और सोने-चांदी की लूट मच गई। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही काफी लोग सोना-चांदी लेकर जा चुके थे। इसके बाद वहां पुलिस बल को लगाना पड़ा था। बताया जाता है कि किसान के खेत से डेढ़ क्विंटल सोना निकला था। वहां सबसे पहले चांदी से भरा घड़ा निकला था। इसमें मिले कंगनों को पुरातत्व विभाग ने पड़ताल की थी। इन्हें हड़प्पा सभ्यता से जोड़कर देखा गया था।