विश्वनाथ सैनी, सीकर। वे कई साल से जिस्मफरोशी के दलदल में फंसी थीं। न बेटियां बच पा रही थीं न बहुएं। अफसर और नेता तो कई बदले। किसी ने उन्हें ‘धंधे’ से छुटकारा नहीं दिलाया, मगर गुजरात के बोटाद जिले की एसपी बनकर आईं राजस्थान की आईपीएस बेटी सरोज कुमारी इनके लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं, जो डंडे के दम पर नहीं बल्कि प्यार और समझाइश से इनकी जिंदगी बदल रही हैं। अब तक 30 महिला सेक्स वर्कर्स ‘गंदा काम’ छोड़ चुकी हैं। ऐसी ही 15 और महिलाएं हैं, जो बदलाव की राह पर हैं।
ऐसे बनी उज्ज्वला योजना
जनवरी में सरोज कुमारी का बोटाद के एसपी पद पर तबादला हुआ। कुछ दिन बाद ही उन्होंने बोटाद की गधडा तहसील के एक गांव में जिस्मफरोशी में लिप्त घरों में दबिश दी तो पता चला कि आय का कोई अन्य जरिया नहीं होने के कारण महिलाएं व युवतियां यह काम कर रही हैं। तब एसपी ने उज्ज्वला योजना बनाई और ऐसी सभी महिलाओं व युवतियों को चिह्नित करवाया। घर-घर में ऐसे केस मिले। फिर एनजीओ व मनोरोग विशेषज्ञ के माध्यम से उनकी काउंसलिंग शुरू की गई। खुद एसपी सरोज उन्हें अपने ऑफिस में बुलाकर उनसे घंटों तक समझाइश करती हैं।
बांटी सिलाई मशीन
पुलिस चाहे तो दबिश दर दबिश देकर ऐसी महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है, मगर घर-घर में ऐसा काम होने और इस माध्यम से सुधार की गति धीमी होने के कारण ‘उज्ज्वला’ का रास्ता अपनाया जा रहा है। काउंसलिंग के बाद महिलाएं इस काम से मुक्ति को तैयार हो रही हैं।
महिलाएं इसलिए अपना रहीं यह रास्ता
गांव में अशिक्षा व गरीबी अधिक है।
यहां शादियां देरी से होती हैं।
लिंगानुपात में अंतर अधिक है।
परिवार के पुरुष सदस्यों की मौन स्वीकृति।
फैक्ट्रियों/खेतों में काम करने आते बाहर के श्रमिक।
कौन हैं आईपीएस सरोज कुमारी
सरोज कुमारी वर्ष 2011 की गुजरात कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं। मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनूं जिले की चिड़ावा तहसील के गांव बुडानिया की रहने वाली हैं। बोटाद में इनकी छवि लेडी सिंघम की है। फिरौती व वसूली करने वाले कई अपराधियों को ये जेल भिजवा चुकी हैं। पिछले साल से माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने निकले भारतीय लोक सेवा अधिकारियों के दल का नेतृत्व भी सरोज कुमारी ने ही किया था।
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