scriptपर्दे में कॉलेज जाती थी इस डॉन की वाइफ, जिसकी पिटाई की उसी ने 2 बार हराया | mohammad shahabuddin wife hena sahab and family | Patrika News
विविध भारत

पर्दे में कॉलेज जाती थी इस डॉन की वाइफ, जिसकी पिटाई की उसी ने 2 बार हराया

आरजेडी के बाहुबली नेता और माफिया डॉन शहाबुद्दीन शनिवार को भागलपुर जेल से रिहा होने के बाद सुर्खियों में है,  जेल से बाहर आने के बाद पूरे शहर में उसके समर्थक और परिवार वाले काफी खुश हैं…

Sep 13, 2016 / 05:08 pm

Patrika Desk

shahabuddin wife hena sahab

shahabuddin wife hena sahab

पटना। आरजेडी के बाहुबली नेता और माफिया डॉन शहाबुद्दीन शनिवार को भागलपुर जेल से रिहा होने के बाद सुर्खियों में हैं। शहाबुद्दीन के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद पूरे शहर में उसके समर्थक और परिवार वाले काफी खुश हैं। उनकी पत्नी हिना ने भी मीडिया से बात करते हुए शहाबुद्दीन के 11 साल बाद घर आने पर खुशी जताई। एक इंटरव्यू में हिना श्हाब ने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा था कि ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान वो सिवान के जिस कॉलेज में मैं पढ़ती थी, उस वक्त वो कॉलेज की एकमात्र ऐसी लड़की थी जो पर्दे में कॉलेज जाती थी।
 
शहाबुद्दीन के जेल में रहने पर हिना ने ही उसके राजनीतिक रसूख को आगे बढ़ाया। दरअसल, आपराधिक मामले में सजा मिलने के बाद चुनाव आयोग ने शहाबुद्दीन के चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध लगा दिया था। वह 2009 के लोकसभा चुनाव में मैदान में नहीं उतर सकते थे। ऐसे में राजद ने शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब को 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए सीवान सीट से टिकट दिया था।
 
 
शहाबुद्दीन ने जिसकी पिटाई की, उसी ने हिना को 2 बार हराया
 
अपहरण और हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को 2007 में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। आपराधिक मामले में सजा मिलने के बाद चुनाव आयोग ने उनके चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध लगा दिया। इस तरह 2009 के लोकसभा चुनाव में वह चुनाव नहीं लड़ सके। ऐसे में राजद ने 2009 और 2014 में शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब को टिकट दिया था, पर निर्दलीय ओम प्रकाश यादव ने 2009 में उन्हें करीब 60 हजार वोटों से हरा दिया था। इसके बाद 2014 में बीजेपी के टिकट पर ओम प्रकाश ने 1 लाख से भी ज्यादा वोटों से हीना को हरा दिया। यह वही ओम प्रकाश थे जिन्हें कभी शहाबुद्दीन ने सरेआम पीटा था।
 

कौन है शहाबुद्दीन की वाइफ.
 
शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब का जन्म 1976 में हुआ था। हिना ने सिवान के कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। कॉलेज में हिना अकेली ऐसी लड़की थी जो बुर्का पहन पढऩे आती थी। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद ही हिना की शादी शहाबुद्दीन से हो गई थी। हिना साहब को एक बेटा ओसामा और दो बेटी हैं। एक इंटरव्यू में हिना ने कहा था कि मायके से लेकर ससुराल तक उनके परिवार में पर्दे का रिवाज था। इसके बाद भी मुझे कभी किसी काम के लिए रोका नहीं गया। मैंने पूरी स्वतंत्रता से स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई की। तब मैं सिवान के कॉलेज की एक मात्र ऐसी छात्रा थी जो पर्दे में रहकर पढ़ाई करने आती थी।
 

कौन है मोहम्मद शहाबुद्दीन
 
शहाबुद्दीन एक ऐसा नाम है जिसे बिहार में हर कोई जानता है। मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सीवान जिले के प्रतापपुर में हुआ था। उसने अपनी शिक्षा दीक्षा बिहार से ही पूरी की थी। शहाबुद्दीन ने राजनीति में एमए और पीएचडी की है। शहाबुद्दीन ने कॉलेज से ही अपराध और राजनीति की दुनिया में कदम रखा था। किसी फिल्मी किरदार से दिखने वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन की कहानी भी फिल्मी सी लगती है। उन्होंने कुछ ही वर्षों में अपराध और राजनीति में काफी नाम कमाया।
 
 
अपराध की दुनिया में पहला कदम
अस्सी के दशक में शहाबुद्दीन का नाम पहली बार आपराधिक मामले में सामने आया था। 1986 में उसके खिलाफ पहला आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद उसके नाम एक के बाद एक कई आपराधिक मुकदमे लिखे गए। शहाबुद्दीन के बढ़ते हौंसले को देखकर पुलिस ने सीवान के हुसैनगंज थाने में शहाबुद्दीन की हिस्ट्रीशीट खोल दी। उसे ए ग्रेड का हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया गया। छोटी उम्र में ही अपराध की दुनिया में शहाबुद्दीन जाना माना नाम बन गया। उसकी ताकत बढ़ती जा रही थी।
 

राजनीति में शहाबुद्दीन का उदय
 
राजनीतिक गलियारों में शहाबुद्दीन का नाम उस वक्त चचार्ओं में आया जब शहाबुद्दीन ने लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में जनता दल की युवा इकाई में कदम रखा। राजनीति में सितारे बुलंद थे। पार्टी में आते ही शहाबुद्दीन को अपनी ताकत और दबंगई का फायदा मिला। पार्टी ने 1990 में विधान सभा का टिकट दिया। शहाबुद्दीन जीत गया। उसके बाद फिर से 1995 में चुनाव जीता। इस दौरान कद और बढ़ गया। ताकत को देखते हुए पार्टी ने 1996 में उन्हें लोकसभा का टिकट दिया और शहाबुद्दीन की जीत हुई। 1997 में राष्ट्रीय जनता दल के गठन और लालू प्रसाद यादव की सरकार बन जाने से शहाबुद्दीन की ताकत बहुत बढ़ गई थी।
 
 
आतंक का दूसरा नाम बन गए थे शहाबुद्दीन
 
2001 में राज्यों में सिविल लिबर्टीज के लिए पीपुल्स यूनियन की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि राजद सरकार कानूनी कार्रवाई के दौरान शहाबुद्दीन को संरक्षण दे रही थी। सरकार के संरक्षण में वह खुद ही कानून बन गए थे। सरकार की ताकत ने उसे एक नई चमक दी थी। पुलिस शहाबुद्दीन की आपराधिक गतिविधियों की तरफ से आंखे बंद किए रहती थी। शहाबुद्दीन का आतंक इस कदर था कि किसी ने भी उस दौर में उनके खिलाफ किसी भी मामले में गवाही देने की हिम्मत नहीं की। सीवान जिले को वह अपनी जागीर समझता था। जहां उसकी इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था।
 

पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी रहे निशाने पर
 
ताकत के नशे में चूर मोहम्मद शहाबुद्दीन इतना अभिमानी हो गया था कि वह पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को कुछ नहीं समझता था। आए दिन अधिकारियों से मारपीट करना उसका शगल बन गया था। यहां तक कि वह पुलिस वालों पर गोली चला देता था। मार्च 2001 में जब पुलिस राजद के स्थानीय अध्यक्ष मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ एक वारंट तामील करने पहुंची थी तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तारी करने आए अधिकारी संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। और उसके आदमियों ने पुलिस वालों की पिटाई की थी।

shahabuddin के लिए चित्र परिणाम
 
पुलिस और शहाबुद्दीन समर्थकों के बीच गोलीबारी
मनोज कुमार पप्पू प्रकरण से पुलिस महकमा सकते में था। पुलिस ने मनोज और शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी करने के मकसद से शहाबुद्दीन के घर छापेमारी की थी। इसके लिए बिहार पुलिस की टुकडिय़ों के अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस की मदद भी ली गई थी। छापे की उस कार्रवाई के दौरान दो पुलिसकर्मियों समेत 10 लोग मारे गए थे। पुलिस के वाहनों में आग लगा दी गई थी। मौके से पुलिस को 3 एके-47 भी बरामद हुई थी। शहाबुद्दीन और उसके साथी मौके से भाग निकले थे। इस घटना के बाद शहाबुद्दीन पर कई मुकदमे दर्ज किए गए थे।
 

सीवान में चलती थी शहाबुद्दीन की हुकूमत
 
2000 के दशक तक सीवान जिले में शहाबुद्दीन एक समानांतर सरकार चला रहा था। उनकी एक अपनी अदालत थी। जहां लोगों के फैसले हुआ करते थे। वह खुद सीवान की जनता के पारिवारिक विवादों और भूमि विवादों का निपटारा करता था। यहां तक के जिले के डॉक्टरों की परामर्श फीस भी वही तय किया करता था। कई घरों के वैवाहिक विवाद भी वह अपने तरीके से निपटाता थेा। वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान उसने कई जगह खास ऑपरेशन किए थे। जो मीडिया की सुर्खियां बन गए थे।
 
 
जेल से लड़ा चुनाव, अस्पताल में लगाया था दरबार
 
1999 में एक सीपीआई (एमएल) कार्यकर्ता के अपहरण और संदिग्ध हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को लोकसभा 2004 के चुनाव से आठ माह पहले गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन चुनाव आते ही शहाबुद्दीन ने मेडिकल के आधार पर अस्पताल में शिफ्ट होने का इंतजाम कर लिया। अस्पताल का एक पूरा फ्लोर उनके लिए रखा गया था। जहां वह लोगों से मिलता था, बैठकें करता था। चुनाव तैयारी की समीक्षा करता था। वहीं से फोन पर वह अधिकारियों, नेताओं को कहकर लोगों के काम कराता था। अस्पताल के उस फ्लोर पर उसकी सुरक्षा के भारी इंतजाम थे।
 
हालात ये थे कि पटना हाई कोर्ट ने ठीक चुनाव से कुछ दिन पहले सरकार को शहाबुद्दीन के मामले में सख्त निर्देश दिए। कोर्ट ने शहाबुद्दीन को वापस जेल में भेजने के लिए कहा था। सरकार ने मजबूरी में शहाबुद्दीन को जेल वापस भेज दिया, लेकिन चुनाव में 500 से ज्यादा बूथ लूट लिए गए थे। आरोप था कि यह काम शहाबुद्दीन के इशारे पर किया गया था। लेकिन दोबारा चुनाव होने पर भी शहाबुद्दीन सीवान से लोकसभा सांसद बन गया था। लेकिन उनके खिलाफ चुनाव लडऩे वाले जेडी (यू) के ओम प्रकाश यादव ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। चुनाव के बाद कई जेडी (यू) कार्यकतार्ओं की हत्या हुई थी।
 

हत्या और अपहरण के मामले में हुई उम्रकैद
 
साल 2004 के चुनाव के बाद से शहाबुद्दीन का बुरा वक्त शुरू हो गया था। इस दौरान शहाबुद्दीन के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए। राजनीतिक रंजिश भी बढ़ रही थी। नवंबर 2005 में बिहार पुलिस की एक विशेष टीम ने दिल्ली में शहाबुद्दीन को उस वक्त दोबारा गिरफ्तार कर लिया था जब वह संसद सत्र में भागेदारी करने के लिए यहां आया हुआ था। दरअसल उससे पहले ही सीवान के प्रतापपुर में एक पुलिस छापे के दौरान उनके पैतृक घर से कई अवैध आधुनिक हथियार, सेना के नाइट विजन डिवाइस और पाकिस्तानी शस्त्र फैक्ट्रियों में बने हथियार बरामद हुए थे। हत्या, अपहरण, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली करने के दर्जनों मामले शहाबुद्दीन पर हैं। अदालत ने शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
 
 
चुनाव लडऩे पर रोक
 
अदालत ने 2009 में शहाबुद्दीन के चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी। उस वक्त लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने पर्चा भरा था। लेकिन वह चुनाव हार गई। उसके बाद से ही राजद का यह बाहुबली नेता सीवान के मंडल कारागार में बंद है। शहाबुद्दीन पर एक साथ कई मामले चल रहे हैं और कई मामलों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है। इस विधानसभा चुनाव में भी शहाबुद्दीन सीवान में लोगों तक अपना संदेश पहुंचा सकता हैं कि उन्हें किसे वोट देना चाहिए और किसे नहीं। कहा जाता है कि भले ही शहाबुद्दीन जेल में था, लेकिन उनका रूतबा तब भी सीवान में कायम रहा। और अब जेल से बाहर आने के बाद उसने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।

Hindi News / Miscellenous India / पर्दे में कॉलेज जाती थी इस डॉन की वाइफ, जिसकी पिटाई की उसी ने 2 बार हराया

ट्रेंडिंग वीडियो