CG city bus: स्टेशन से माना बस्ती तक सिटी बस सेवा शुरू, अब समय और पैसे दोनों की बचत ग्रामीण व शहर में सिटी बस सेवा बंद होने से शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह बस सेवा विद्यार्थियों और आम नागरिकों की समस्या को देखते हुए शहर के चौक-चौराहों और शिक्षण संस्थानों से लेकर बस स्टैंड तक शुरू की गई थी, जो केवल भाजपा सरकार के शासन काल में चला, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद सिटी बस सेवा की पहिए थम सी गई, जो अब तक बंद है।
अब प्रदेश में फिर से भाजपा सरकार ने सत्ता की बागडोर संभाली है, तो एक बार फिर से लोगों में उम्मीद जागी है। नगर सहित आसपास व दूर ग्रामीण क्षेत्र से छात्र-छात्राएं पढ़ाई के लिए नगर पहुंचते हैं, लेकिन सिटी बस सेवा बंद होने के कारण छात्र-छात्राओं को यात्री बसों में धक्के खाते हुए सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अलग-अलग रुटों में चलने वाले यात्री बस वैसे भी यात्रियों से खचाखच भरा होता है।
ऐसे में छात्र-छात्राओं के लिए सीट की उम्मीद करना भी मुश्किल है। यात्रियों से भरी बसों में विद्यार्थियों को खड़े होकर ही मुख्यालय पहुंचना पड़ता है। इसमें छात्राएं भी शामिल होती है, जिन्हे सफर के दौरान कई तरह मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सिटी बस सेवा पढ़ाई के लिए नगर पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं के लिए काफी कारगार मना जा सकता है। इस दिशा में सत्ता में काबिज जनप्रतिनिधियों को गंभीरता से पहल करने की जरुरत है। ताकि छात्र-छात्राओं को सुविधा मिल सके।
कबाड़ की हालत में खड़ी बसें
बसों के संचालन की जिम्मेदारी नगर पालिका कवर्धा की थी, जिसे जिले के चार विकासखंड मुख्यालय तक बसों का परिवहन कराना था। जिससे कम दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को अधिक किराया न देना पड़े और निजी बस संचालकों की मनमानी से राहत मिले, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। वहीं मामले में जिम्मेदार अधिकारी नगर पालिका सीएमओ का कहना है कि बस कबाड़ की हालत में खड़े है, इन्हें सुधारने के लिए बड़ी रकम की जरूरत है। स्टीमेट बनाया जाएगा, मैकेनिक से पूरी बसों की जांच कराई जाएगी, कितना खर्च आएगा। उसके बाद संचालित करने का प्रयास होगा। इस दिशा में कार्य किया जाएगा।
City bus: प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार सत्ता में काबिज, उम्मीद बढ़ी
फिरहाल प्रदेश की बागडोर संभाले छह माह बीत जाने के बाद भी सिटी बस सेवा को दोबारा बहाल करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। सिटी बस सेवा प्रारंभ नहीं होने से विद्यार्थियों को तीन से लेकर चार किलोमीटर का सफर या तो पैदल तय करना पड़ता है या फिर उन्हें ऑटो में किराया देकर बस स्टैंड से संस्थानों तक पहुंचना पड़ता। लोकल कर्मचारी, मजदूर व आम नागरिक भी इस सेवा से वंचित हो गए हैं। अब प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार सत्ता में काबिज है। ऐसे में फिर से सिटी बस चालू करने की जरूरत है। ताकि आम नागरिकों और विद्यार्थियों को आने-जाने में बुनियादी सुविधा मिल सके। सिटी बस के इंतजार में अब ग्रामीण और शहर क्षेत्र के विद्यार्थी कर रहे हैं। वर्तमान में निजी बस से आवागमन करने से छात्राओं व आम नागरिकों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सिटों बस चालू होने सेछात्र-छात्राओं को बड़ी राहत मिल सकता है।
City bus: करोड़ों रुपए तबाह, जिम्मेदार कौन
जनता के पैसों की एक तरह से कहे तो ये बर्बादी है। जिनके लिए ये सुविधा मुहैया कराने सरकार ने पानी की तरह पैसा बहाया है। उसके उद्देश्यों की पूर्ति तो होने से रही, ऊपर से करोड़ों रूपये तबाह हो गए है। जिसकी भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती है। आज ये बसें कबाड़ में जाने के अलावा कोई और जगह जाने के लायक ही नहीं बची है। इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है।