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चम्बल का पानी आया तो मेजा बांध को भूलाया

भीलवाड़ा। डेढ़ दशक पूर्व वस्त्रनगरी की जीवन रेखा कहलाने वाला मेजा बांध अब गुमनामी में है। यहां का पिकनिक स्पॉट उजाड़ एवं वीरान है। चम्बल पेयजल परियोजना का पानी शहर में आने के बाद से शहरवासी भी मेजा बांध की राह भूल गए।

भीलवाड़ाJul 08, 2024 / 08:37 pm

Narendra Kumar Verma

meja bandh

भीलवाड़ा। डेढ़ दशक पूर्व वस्त्रनगरी की जीवन रेखा कहलाने वाला मेजा बांध अब गुमनामी में है। यहां का पिकनिक स्पॉट उजाड़ एवं वीरान है। चम्बल पेयजल परियोजना का पानी शहर में आने के बाद से शहरवासी भी मेजा बांध की राह भूल गए।
जल संसाधन विभाग एवं नगर विकास न्यास के मेजा बांध को विकसित करने की योजना भी सरकारी फाइलों में दब गई है। जलसंसाधन विभाग की मानें तो डीएमएफटी फंड के भरोसे यहां की कायापलट की योजना उम्मीद बांधे है।
वस्त्रनगरी में करीब एक दशक पहले पर्यटन स्थल के रूप में मेजा बांध का नाम ही जाना जाता था। बारिश व सावन के मौसम में यहां मेले का माहौल रहता था। जलसंसाधन विभाग ने शहरवासियों एवं पर्यटकों को यहां आकर्षित करने के लिए माउंट वेली विकसित की। इसमें झूले, चक्करी, रंगीन फव्वारे लगाए और बच्चों के लिए रेल के सीमंटेट डिब्बे व घूमक्कड़ प्वाइंट बनवाए और खेल उपकरण विकसित किए। यहां पर्यटकों की आवक बढ़ने से यहां हॉर्स राइडिंग भी शुरू हो गई।
मत्स्य पालकों ने भी यहां मत्स्य पालन के लिए नवाचार किए। मत्स्य विभाग ने यहां गेस्ट हाउस व प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया था। कैंटीन व पार्किंग के ठेके होने लगे और सरकारी अधिकारी भी विश्रामगृह में सरकारी काम निपटाते थे। लेकिन अब यहां वीरानी है।
सब कुछ उजड़ गया

भीलवाड़ा शहर से 15 किमी दूर स्थित मेजा बांध में हालात अब ठीक नहीं है। विला उजड़ गए हैं। बच्चों की रेलगाड़ी व स्लिप पट्टी एवं सड़कें टूट चुकी है। कैंटीन व पार्किंग स्थल पर घास उग आई। बोटिंग बंद हो गई। विभाग का डाक बंगला जर्जर है। दोनों तरणताल खस्ताहाल है। यहां की अधिकांश रोड लाइट बंद है। बांध होने के बावजूद पीने के पानी का संकट है। सुविधाएं नहीं होने से अब शहर एवं आसपास के लोगों का मोह भी मेजा बांध से भंग होने लगा है। रखरखाव के अभाव में मेजा बांध अपना सौंन्दर्य भी खो चुका है।
कागजों से नहीं उभरी योजना

नगर विकास न्यास के तत्कालीन चेयरमैन रामपाल शर्मा ने वर्ष 2013 में मेजा बांध कायापलट की योजना बनाई। यहां माउंटआबू की भांति बोटिंग, वॉच टावर, हट, रेस्टोरेंट, रंगीन फव्वारे की सुविधा जुटाने का खाका खींचा गया, लेकिन यह योजना भी कागजों में रह गई।
मेजा बांध में साढ़े तीन फीट पानी

30 फीट की क्षमता के बांध में अभी साढ़े तीन फीट पानी है। इसके बावजूद बांध अभी भी वस्त्रनगरी के कुछ हिस्सों की प्यास बुझा रहा है। यहां से अभी रोजाना बीस 30 लाख लीटर से अधिक पानी की आपूर्ति शहर को हो रही है, हालांकि वर्ष 2018 तक शहर को 80 से 90 लाख लीटर पानी मिल रहा था।
मातृकुण्डिया से पानी की आवक

मातृकुण्डिया बांध चित्तौड़गढ़ जिले में होने के बावजूद जलसंसाधन विभाग खंड भीलवाड़ा द्वितीय के अधीन है। मातृकुण्डिया बांध क्षेत्र से इस साल नहर के जरिए अथाह जलराशि मिली है। मातृकुण्डिया से पानी मेजा तक लाने के लिए जलसंसाधन विभाग ने 52 किमी लंबी फीडर नहर बना रखी है।
प्रस्ताव सरकार को भेजा

मेजा बांध जल संसाधन विभाग की संपति है। बांध के विकास एवं टूरिस्ट पैलेस बनाने के लिए 25 करोड़ की योजना बनाई है। निर्माण कार्य डीएमएफटी फंड से कराने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव मंजूर होता है तो मेजा बांध की माउंट वैली विकसित होगी और मेजा बांध फिर शहरवासियों को लुभाएगा।
सीएल कोली, अधिशासी अभियंता, खंड द्वितीय

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