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Weather: बिजली गिरने से तीन मवेशी की मौत

धूप-छांव का चला दौर, धूल भरी आंधी से लोग हुए हलकान

छिंदवाड़ाMay 08, 2024 / 10:49 am

ashish mishra

छिंदवाड़ा. मंगलवार को मौसम में बदलाव देखने को मिला। सुबह तेज धूप से लोगों का सामना हुआ। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया सूर्य देवता की तपन बढ़ती गई। दोपहर एक बजे के आसपास मौसम ने करवट लिया और काले बादल छा गए। इसके बाद शहर में धूल भरी आंधी शुरु हो गई। इससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। हालांकि इसके बाद काफी देर तक धूप-छांव का दौर रहा। दोपहर तीन बजे के आसपास फिर से आसमान में बादलों ने डेरा डाला। शहर एवं आसपास के क्षेत्रों में बूंदाबादी हुई। इस दौरान बादलों की गरज एवं बिजली की चमक से लोग सहम गए। खमारपानी उपतहसील के अंतर्गत ग्राम देवरी में आसमानी बिजली गिरने दो बैल एवं एक गाय की मौत हो गई। अधिकतम तापमान 39.4 डिसे एवं न्यूनतम तापमान 25.2 डिसे रिकॉर्ड किया गया।
मौसम विभाग ने 8 से 12 मई तक मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है। मध्यम से हल्के बादल रहने एवं बारिश की संभावना जताई है। अधिकतम तापमान 40-41 डिसे एवं न्यूनतम तापमान 25-26 डिसे के मध्य रहने की संभावना है। अधिकतम सापेक्षित आद्र्रता 40-53 प्रतिशत एवं न्यूनतम सापेक्षित आद्र्रता 21-26 प्रतिशत रहने की संभावना है। आने वाले दिनों में हवा दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण, पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम दिशाओ में बहने एवं 8-12 किमी प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना है।

फसलों को कीट रोग से बचाव की सलाह
कृषि अनुसंधान केन्द्र चंदनगांव ने किसानों को फसलों को लेकर एडवाइजरी जारी की है।
फसल की सतत निगरानी करते रहने तथा कीट रोग से बचाव के उपाय करने को कहा गया है।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपने अनाज को 10 प्रतिशत नमी के स्तर तक सुखाने के बाद स्टोर करें और सुरक्षित भंडारण के लिए नए जूट के बोरों का उपयोग करें। ग्रीष्म ऋतु की फसलों में उच्च तापमान के कारण वाष्पीकरण वाष्पोत्सर्जन दर बहुत अधिक होती है। इसलिए किसानों को पंक्तियों के बीच में वानस्पतिक या प्लास्टिक मल्च डालने की सलाह दी गई है ताकि वाष्पीकरण वाष्पोत्सर्जन दर को कम किया जा सके। खरीफ फसल की बुवाई से पहले खेत की एक बार गहरी जुताई अवश्य करें, जिससे मिट्टी हल्की हो जाएगी तथा घास और खरपतवार के बीज नष्ट हो जाएंगे। इससे कीड़े, उनके अण्डे व बिमारियों के जीवाणु ऊपर आकर तेज धूप से नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी में वायु का संचार बेहतर होता है तथा मिट्टी की जल धारण क्षमता भी बढ़ जाती है।

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