पंखिड़ा ओ पंखिड़ा…,ढोलीड़ा, ढोल धीमो-धीमो वगाड़ मा…,ओढ़नी ओढू तो उड़-उड़ जाए.., ढोली थारो ढोल बाजे.., साड़ी गली आया करो, साड़े नाल रहोगे तो…, गरबा के रंग में रंग जाओ, खुशियों के साथ मनाओ जैसे गुजराती, राजस्थानी व पंजाबी गीतों के तड़के एवं डांडियों की खनक के बीच शनिवार रात वस्त्रनगरी में राजस्थान पत्रिका के डांडिया महोत्सव को यादगार बना गई।
भीलवाड़ा•Oct 14, 2024 / 01:30 pm•
Narendra Kumar Verma
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