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एमबीए की पढ़ाई करने वाले वरुण कर रहे हैं प्राकृतिक खेती

गांधीधाम में एमबीए की पढ़ाई करने वाले वरुण शर्मा प्राकृतिक खेती खेती कर रहे हैं। वे युवाओं को नई राह ​दिखा रहे हैं। इसके अलावा वे पशुपालन भी करते हैं। फिलहाल उनके पास 55 गायें हैं, जिनसे खाद बनाई जाती हैं।

अहमदाबादDec 05, 2024 / 09:33 pm

Pushpendra Rajput

गांधीधाम में प्राकृतिक खेती से खारेक की पैदावार।

गांधीधाम के वरुण शर्मा ने एमबीए की पढ़ाई करने के बावजूद बड़ा पैकेज का मोह छोड़ प्राकृतिक खेती को अपना व्यवसाय बनाया है। यही नहीं, वे पशुपालन भी कर रहे हैं।फिलहाल उनके पास 55 गायें भी हैं। वरुण युवाओं के लिए मिसाल बने हैं।
वरुण शर्मा चुडक गांव में यह प्राकृतिक खेती करते हैं। उसकी पैदावार का मूल्यवर्धन कर अच्छी कमाई कर रहे है। जब युवाओं का रुझान उच्च शिक्षा के बाद खेती से हट रहा है, ऐसे में वरुण ने सफल प्राकृतिक खेती के सपने को साकार किया है। उन्होंने खेती को वास्तविक रूप देने के लिए जमीन भी खरीदी और खेती के बारे में जानकारी हासिल की। अब वे खेती में माहिर हो चुके हैं। वे रासायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती के साथ एग्रो बिजनेस कर एक नया उदाहरण पेश कर रहे हैं।
वरुण बताते हैं कि वर्ष 2009 में खेती करने का विचार आया और चुडक गांव में सभी भाइयों ने मिलकर जमीन खरीदी। शुरू में खेती की जानकारी नहीं होने से आसपास के किसानों से संवाद और मार्गदर्शन लिया। बाद में यूरिया, डी.ए.पी., पोटाश, जिंक, सल्फर जैसे रासायनिक खादों का इस्तेमाल किया, लेकिन खर्च के मुकाबले उत्पादन नहीं हुआ। इसके अलावा भूमि की प्राकृतिक शक्ति में कमी आई और भूमि कठोर होने लगी, जिससे पानी की खपत भी बढ़ गई। साथ ही, हर वर्ष दवा और बीज में नई-नई तकनीक आने से खेती का खर्च बढ़ने लगा। इसके चलते उन्होंने रासायनिक खेती छोड़ दी।
उन्होंने वर्ष 2016 में कृषि विज्ञान केंद्र-मुंद्रा के अधिकारियों से प्राकृतिक खेती को लेकर चर्चा की और आत्मा ऑफिस-भुज से और जानकारी प्राप्त की। फिर गाय आधारित खेती करने का निर्णय लिया। इस तरीके से जून 2016 में उन्होंने प्राकृतिक खेती की शुरुआत की।
प्रशिक्षण के बाद आरंभ की प्राकृतिक खेती

वे बताते हैं कि प्राकृतिक खेती के 6 प्रशिक्षण सत्रों में व्यक्तिगत 15-15 दिन की ट्रेनिंग और प्रत्यक्ष खेती विधियों को देखकर सफल प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। मौजूदा समय में वे सीताफल, अमरूद, चीकू, आम, खारेक, गेहूं, चना, पालक, मेथी, बैगन, टमाटर और गायों के लिए चारा का वर्षभर उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं और इन्हें सीधे बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
गाय आधारित खेती

वे गाय आधारित खेती के बारे में बताते हैं कि उनके पास 54 गाय हैं, जिनसे आवश्यक जैविक खाद, गोमूत्र, जीवामृत, घनजीवामृत, दशपर्णी अर्क तैयार कर रहे हैं और इनका खेती में इस्तेमाल कर रहे हैं। गोमूत्र और गोछान से जैविक खाद तैयार करने से भूमि में भी सुधार देखा गया है। साथ ही सीताफल, अमरूद, चीकू, आम, खारेक, गेहूं, चना, पालक, मेथी, बैगन, टमाटर और गायों के लिए चारा, धान्य और दलहनों में मिठास, स्वाद और उत्पादन में वृद्धि हो रही है। प्राकृतिक खेती और पशुपालन में बेहतरी के लिए राज्य स्तर पर पुरस्कार से नवाजा गया है।

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