यही नहीं, बीते एक माह के दौरान दो दर्जन से अधिक रोगी जिला मुख्यालय पर रेफर किए जा चुके हैं और इसके बावजूद अभी प्रशासन व संबंधित विभाग मामले को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे। यह बुखार टाइफाइड या वायरल यह बाद की बात है लेकिन हालात ये हैं कि कई घरों में परिवार के एक से अधिक सदस्य बुखार की चपेट में आ चुके हैं और 15-20 दिन को उपचार लेने के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा। जानकारी अनुसार यहां के मुकेश सेठी, गर्व भठेजा, गोरू सुखीजा, मनु सुखीजा, नरेश छाबड़ा, राजेंद्र भादू, चंदन भादू, सुमित सिंगला व बब्बू सिंगला आदि ऐसे कई रोगी हैं जिन्होंने करीब एक सप्ताह तक यहां उपचार लेने के बाद अब श्रीगंगानगर या रायसिंहनगर के निजी चिकित्सालयों की शरण ली है और वहां भारी-भरकम फीस देकर उपचार करवा रहे हैं।
सरकारी अस्पाल के दोनों वार्ड फुल
रेफर किए गए रोगियों के अलावा स्थानीय सीएचसी पर भर्ती बुखार रोगियों की भी लंबी फेहरिस्त है। पिछले करीब तीन सप्ताह से अस्पताल के दोनों वार्ड फुल चल रहे हैं। विशेषज्ञों के पद रिक्त होने से जहां चिकित्सकों को परेशानी हो रही है वहीं, बेडों के मुकाबले मरीज अधिक होने से व्यवस्था बनाने के लिए नर्सिगकर्मियों को भी अतिरिक्त प्रयास करने पड़ रहे हैं। जानकारी अनुसार भूपेंद्र ठाकुर (34) वार्ड 23 श्रीकरणपुर, कुलवीर कौर (17) गांव 57 एफ, लाल चंद (27) गांव रड़ेवाला, शुभम छाबड़ा (23) वार्ड 18 व हरनेक सिंह (65) निवासी वार्ड एक सहित करीब तीन दर्जन रोगी ऐसे थे जो बुधवार शाम को सीएचसी में भर्ती थे। इधर, सीएचसी पर बने दोनों वार्डों में महज 25 बेड की क्षमता होने से कई बेडों पर दो-दो मरीजों का उपचार किया जा रहा था।
लोग कह रहे- दूषित पानी ने बढ़ाई समस्या
कस्बे में एकाएक बुखार के रोगियों की संख्या बढऩे से हडक़ंप मचा है। अस्पताल में भर्ती रोगियों व अन्य लोगों का मानना है कि दूषित पेयजल आपूर्ति के चलते ही वे टाइफाइड बुखार की गिरफ्त में आ गए लेकिन चिकित्सा अधिकारी पानी के अलावा मौसम, खाने-पीने की अस्वच्छता या अन्य पहलुओं को भी इस रोग का बड़ा कारण मान रहे हैं। सीएचसी के कार्यवाहक प्रभारी डॉ.जितेंद्र बोगिया ने बताया कि सीआरपी व वाइडल टेस्ट पॉजिटिव जरूर आ रहे हैं लेकिन बुखार का पैटर्न टाइफाइड जैसा नहीं है। उन्होंने बताया कि यहां टाइफाइड के मरीज चिन्हित हुए हैं लेकिन बुखार के कुल मरीजों के मुकाबले इनकी संख्या काफी कम है। वहीं, हालात गंभीर होने पर कई रोगियों को रेफर भी किया गया है। उन्होंने बताया कि टाइफाइड छोटी आंत को संक्रमित करता है और तेज बुखार पैदा करता है लेकिन गर्म शरीर, सिरदर्द, ठंड लगना, भूख में कमी, पेट दर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, दस्त या कब्ज आदि लक्षण टाइफाइड के अलावा अन्य प्रकार के बुखार में भी रहते हैं।
प्रशासन व अन्य विभाग अभी नींद में!
एक तरफ जहां कस्बे में बुखार रोगियों की बढ़ती संख्या से आमजन चिंतित है। वहीं, प्रशासन, चिकित्सा विभाग व जलदाय विभाग अभी तक मामले से अनभिज्ञ ही नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि एक माह के दौरान कोई भी खास कदम नहीं उठाया गया है। एसडीएम श्योराम ने कहा कि करीब दस दिन पहले मामला सामने आने पर पानी की जांच के लिए निर्देश दिए गए थे। वहीं, जलदाय विभाग के एइएन मोनिंद्रजीत सिंह व बीसीएमओ डॉ.चरणजीत सिंह रौला ने कहा कि हर सप्ताह पानी के रूटीन सैंपल लिए जाते हैं। इसके लिए कोई अलग से सैंपल अभी तक नहीं लिए गए हैं।