समाचार

यातायात व्यवस्था, क्या करें और क्या नहीं सिखाता केरल

Kerala news

चेन्नईMay 01, 2024 / 04:18 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

चेन्नई. पिछले दिनों केरल में लोकसभा चुनाव के हाल जानने का अवसर मिला। पहाड़ी वादी वाले वायनाड़ से समुद्री सतह वाले तिरुवनंतपुरम की साढ़े चार सौ किलो की यात्रा ने इस पड़ोसी राज्य में विकास और सड़क मार्ग की व्यवस्था की जो सूरत पेश की, वह बेहद चौंकाने वाली रही। ‘गॉड्स औन कंट्री’ के टैग के साथ कृषि और पर्यटन की बुनियाद पर विकास करने वाले केरल में औद्योगिकीकरण ने वह रूप नहीं लिया है जो पड़ोसी राज्यों में दिखाई पड़ता है। सड़कों की सीमितता, संकुचित सोच का द्योतक रही, जिसमें बदलाव दिख रहा है।

रोजगार के लिए पलायन

केरल की अब तक की संरचना दर्शाता है कि उसने अपने आप को विकास की दृष्टि से सीमित रखा है। यहां दिल को छूने वाली हरियाली और आंखों को सुकून देने वाली नदियां और जलस्रोत तो हैं लेकिन शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार देने वाली आइटी कंपनियों का अभाव है। अधिकांशत: युवक रोजगार के लिए या तो अन्य राज्यों में चले जाते हैं नहीं तो कोई ना कोई स्वरोजगार शुरू कर देते हैं। एक बड़ा वर्ग मिडिल ईस्ट में बसा है। आंकड़ों के अनुसार केरल में 15-29 आयु वर्ग के युवाओं में केवल 38.98 प्रतिशत लोगों को ही रोजगार प्राप्त है। इस प्रकार बेरोजगार की दृष्टि से केरल, ओडिशा के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। भाजपा के नेता सुरेश केरल के औद्योगिक दृष्टि से अल्पविकसित रह जाने के लिए सत्तारूढ़ यूडीएफ और एलडीएफ को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनकी मानें तो दोनों ही दलों ने राज्य को पनपने का मौका नहीं दिया। जबकि दक्षिण का पहला आइटी पार्क इक्कीसवीं सदी की शुुरुआत में तिरुवेंद्रम में खुला था। उसके बाद विकास की नाव का कोई खैवनहार नहीं मिला। वे मानते हैं कि दोनों पार्टियां जान-बूझकर विकास नहीं चाहती क्योंकि इससे उनकी राजनीति संकट में पड़ जाएगी। कुछ अन्य बुद्धिजीवी भी मानते हैं कि परम्परागत रहने और प्रकृति के नाम पर बुनियादी विकास के समझौता किया जा रहा है।

उद्योग विकास और यातायात

उद्योग विकास के लिए बुनियादी संरचना का मजबूत होना जरूरी है। केरल में रेल नेटवर्क का अपना दायरा है। पहाड़ी इलाकों मेें ट्रेन के साधन शायद ही विकसित हो पाए लेकिन इनमें बेहतर सड़क व्यवस्था के उपाय तो होने ही चाहिए। सड़क की चौड़ाई की बात करें तो पूरे प्रदेश में ये चौड़ीकरण की मांग कर रहे हैं। बढ़ते वाहन और सीमित सड़कों की वजह से शहरों में कब जाम लग जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। कोझीकोड, त्रिशूर और तिरुवनंतपुरम सहित सभी प्रमुख शहरों के यही हाल है जबकि ये सभी पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। केरल पर्यटन विभाग के अनुसार २०२३ में प्रदेश में 2.18 करोड़ देशी पर्यटक आए थे जो 2022 की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक थे। पर्यटकों की आवाजाही को और अधिक बढ़ाना है तो सड़क नेटवर्क को और बेहतर करना जरूरी है। राजमार्ग होने के बाद भी सड़कों की चौड़ाई नहीं होना दर्शाता है कि अन्य राज्यों को क्या करना चाहिए। सड़क की यही व्यवस्था अन्य प्रदेशों को यह सीख भी देती है कि जो राहगीर हैं उनको किसी भी तरह की असुविधा नहीं होनी चाहिए। सड़क के किनारे का फुटपाथ इसी बात का साक्ष्य है कि यातायात जाम भला कितना ही गंभीर क्यों नहीं हो, लोगों के कदम नहीं रुकते।

Hindi News / News Bulletin / यातायात व्यवस्था, क्या करें और क्या नहीं सिखाता केरल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.