उदयपुर खनिज बहुल क्षेत्र होने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडि़या के प्रयासों से यहां इस विषय की स्नातकोत्तर शिक्षा की शुरुआत हुई। नागपुर निवासी प्रोफेसर केशव प्रसाद रोडे को यहां विभाग की शुरुआत की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। इसीलिए उन्हें इसका संस्थापक माना जाता है। भू विज्ञान विभाग की शुरुआत उस समय तत्कालीन महाराणा भूपाल कॉलेज (वर्तमान साइंस कॉलेज) में हुई। जबकि 1957 में विभाग का अपना भवन बना। अब तक विभाग से करीब पंद्रह सौ से अधिक विद्यार्थी पास आउट हो चुके हैं।
गजट के जरिए मिली स्वायत्तता
उदयपुर में मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद दिसम्बर 1988 में भू विज्ञान विभाग को सुखाडि़या विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया। तब यहां के 75 कर्मचारी व तमाम सम्पत्ति, संसाधन विश्वविद्यालय से जोड़ दिए गए। इसके लिए बकायदा गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया। जिसमें इसे एक स्वायत्तशासी इकाई का दर्जा दिया गया। आज विभाग साइंस कॉलेज से जुड़ा होने के बावजूद एक स्वायत्तशासी इकाई के रूप में संचालित है। विश्वविद्यालय की ओर से इसके लिए अलग से बजट प्रावधान किया जाता है।आस्ट्रेलिया, अफि्रका, वियतनाम में मांग
भू विज्ञान विभाग की अकादमिक गुणवत्ता इतनी श्रेष्ठ रही है कि यहां से शिक्षित विद्यार्थियों की मांग आस्ट्रेलिया, अफि्रका, वियतनाम जैसे कई देशाें में है। खनिज बहुल इन देशों में भू विज्ञान विशेषज्ञों की डिमांड हर समय बनी रहती है। इसके अलावा ओएनजीसी, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया, मौसम विभाग सहित देश की तमाम बड़ी संस्थाओं में यहां के विद्यार्थियों ने सेवाएं दी है। यहां शिक्षित एलएल भंडारी ओएनजीसी के सदस्य रहे। आइपीएस हबीब खान गौराण आरपीएससी के सदस्य रहे। आइएएस शैलेंद्र दशोरा पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक रहे। राज्य के खान विभाग एवं आरएसएमएम में यहां के कई विद्यार्थियों ने सेवाएं दी।शैक्षणिक गुणवत्ता के चलते मिलती रही फंडिंग
भू विज्ञान विभाग में शोध एवं अनुसंधान की गुणवत्ता के चलते विभाग को यूजीसी, भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक विभाग, भू विज्ञान विभाग, रूसा आदि के तहत फंडिंग मिलती रही है। रूसा के तहत विश्वविद्यालय के सर्वाधिक 11 प्रोजेक्ट इस विभाग को मिले हैं। अब तक विभाग से 133 विद्यार्थी पीएचडी कर चुके हैं। फिलहाल यहां बीएससी, एम.एससी. और एम.एससी. एप्लाइड जिओलाजीकॉर्स संचालित है। 1992 से पहले तक छात्राएं इस विषय में नहीं आती थी, लेकिन आज छात्रों के बारबर छात्राएं भी भू विज्ञान पढ़ रही हैं।रोडे म्यूजियम में विश्व स्तरीय संग्रह
भू- विज्ञान विभाग के फाउंडर प्रो. के.पी. रोड के नाम से यहां बने म्यूजियम में विश्व स्तरीय रॉक्स के अवशेषों का संग्रह है।इनका कहना …
भू- विज्ञान विभाग प्लेटिनम जुबली वर्ष मना रहा है। इसके तहत इसी माह तीन दिवसीय समारोह आयोजित किया जाएगा। जिसमें पूर्व छात्र परिषद की ओर से विभिन्न आयोजन होंगे। – डॉ. रितेश पुरोहित, विभागाध्यक्ष, भू- विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय का भू विज्ञान विभाग अपने आप में ऐतिहासिक संस्थान है। जिसकी स्थापन आजादी के तीन वर्ष बाद ही हो गई थी। उस समय राजस्थान में दो ही जगह स्नातकोत्तर शिक्षण शुरू हुआ। शुरुआत में विभाग आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था।
– डॉ. विनोद अग्रवाल, पूर्व डीन साइंस कॉलेज एक समय ऐसा था, जब भू विज्ञान विभाग का दल शैक्षिक भ्रमण पर जाता था तो पूरी किचन साथ चलती थी। विभाग में एक बस और जीप है, जो विद्यार्थियों के शैक्षिक भ्रमण में काम आती है। प्रायोगिक दृष्टि से आवश्यक होने से आज भी स्टूडेंट्स क लिए शैक्षिक भ्रमण अनिवार्य है।
– डॉ. हर्ष भू, पूर्व विभागाध्यक्ष, भू विज्ञान विभाग भू विज्ञान के अध्ययन की दृष्टि से यह संस्थान देश का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। पहले तो यहां बाहर के राज्यों के विद्यार्थियों के लिए भी 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित हुआ करती थी। यहां से शिक्षित विद्यार्थियों ने देश के कई महत्वपूर्ण संस्थानों में सेवाएं दी और दे रहे हैं।
– डॉ. एम.एल. नागौरी, पूर्व विभागाध्यक्ष, भू विज्ञान विभाग