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राजधानी में 23 लाख की आबादी पर 150 टॉयलेट भी नहीं

भोपाल ने 150 सार्वजनिक शौचालय भी नहीं बनाए हैं

भोपालNov 09, 2024 / 12:49 am

Mahendra Pratap

भोपाल. प्रदेश की राजधानी की जनसंख्या भले ही 23 लाख पर पहुंच चुकी है लेकिन इस आबादी के मुकाबले नगर निगम भोपाल ने 150 सार्वजनिक शौचालय भी नहीं बनाए हैं। नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक भोपाल शहर में सार्वजनिक शौचालय की संख्या महज 143 है। इसी प्रकार 85 वार्ड के मुकाबले केवल 62 सामुदायिक शौचालय संचालित किए जा रहे हैं। शहर में लघु शंका के लिए महिलाओं एवं पुरुषों की सुविधा के लिए मात्र 13 पब्लिक यूरिनल मौजूद हैं। केंद्रीय स्वच्छ भारत मिशन प्रतियोगिता में चुनौतियों का सामना कर रहे भोपाल नगर निगम ने अब पब्लिक टॉयलेट की संख्या दोगुनी करने का प्रस्ताव बनाया है। स्वच्छ भारत मिशन से मिलने वाली राशि से 150 नए यूरिनल्स का निर्माण भोपाल शहर में किया जाएगा। उल्लेखनीय की यह तैयारी तब की जा रही है जबकि नवंबर महीने में केंद्रीय स्वच्छता मिशन सर्वे की टीम गोपनीय तरीके से सर्वे करने के लिए सक्रिय हो चुकी है। यह रिपोर्ट शहरी विकास मंत्रालय दिल्ली भेजी जाएगी, इसके बाद जनवरी में भोपाल शहर की रैंकिंग जारी होगी। वर्तमान में यह हैं इंतजाम
– नगर निगम एवं सुलभ इंटरनेशनल के बीच समझौते के अंतर्गत शहर में सार्वजनिक शौचालय संचालित किए जा रहे हैं। यहां लघु शंका के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है जबकि दीर्ध शंका के लिए पांच रुपए की राशि वसूल की जाती है। शहर के प्रमुख बाजार और महत्वपूर्ण स्थान पर इनका निर्माण किया गया है, इसके बावजूद इनकी संख्या बेहद सीमित है।
– नगर निगम अधिकृत क्षेत्र के अंतर्गत शहर में 85 वार्ड मौजूद हैं। इनके मुकाबले शहर में महज 62 सामुदायिक शौचालय बनाए गए हैं। केंद्रीय स्वच्छ भारत प्रतियोगिता के नियमों के मुताबिक प्रत्येक वार्ड में एक सामुदायिक शौचालय होना जरूरी है जिसका इस्तेमाल मुख्य रुप से स्लम एरिया के नागरिक कर सकते हैं।
– शहर में 50 से ज्यादा छोटे बड़े बाजार मौजूद हैं जहां प्रतिदिन लाखों महिला पुरुष खरीददारी करने के लिए पहुंचते हैं। आपात स्थिति में महिलाओं एवं पुरुषों को खुले में ही निवृत होना पड़ता है क्योंकि केवल 13 स्थान पर ही पब्लिक यूरिनल्स बनाए गए हैं।
शहर के प्रमुख इलाकों में पब्लिक यूरिनल्स बनाने के टेंडर जारी किए जा रहे हैं। इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन से मिली राशि इस्तेमाल की जाएगी। देवेंद्र चौहान, अपर आयुक्त, स्वच्छ भारत मिशन

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