चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हाथों में सौंप दी परीक्षा की गोपनीयता
– न्यू जीडीसी में थाने से परीक्षाओं के पेपर लाने-ले जाने का काम कर रहे प्यून इंदौर. देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (डीएवीवी) में एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षाओं के पेपर लीक कांड की गूंज है तो यूनिवर्सिटी पेपर आउट होने वाले जैसे मामलों से निपटने का दावा कर रही है। दूसरी ओर, शहर के महारानी लक्ष्मीबाई […]
– न्यू जीडीसी में थाने से परीक्षाओं के पेपर लाने-ले जाने का काम कर रहे प्यून
इंदौर. देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (डीएवीवी) में एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षाओं के पेपर लीक कांड की गूंज है तो यूनिवर्सिटी पेपर आउट होने वाले जैसे मामलों से निपटने का दावा कर रही है। दूसरी ओर, शहर के महारानी लक्ष्मीबाई पोस्ट ग्रेजुएशन गर्ल्स कॉलेज में चल रही परीक्षाओं की सारी गोपनीयता को ताक में रख दिया गया है। यहां पर थाने से पेपर लाने-ले जाने का काम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सौंप दिया गया है। यह काम गत मार्च में हुई परीक्षाओं से चल रहा है, जो अब तक जारी है।
किला मैदान स्थित महारानी लक्ष्मीबाई पोस्ट ग्रेजुएशन गर्ल्स कॉलेज में बीए, बीकॉम और बीएससी सहित पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेस चलते हैं। यूनिवर्सिटी विषयवार सुबह 7 से 10 बीकॉम, 11 से 2 साइंस और 3 से 6 आर्ट्स विषयों की परीक्षाएं आयोजित करती है। यहां पर तीनों विषय की पढ़ाई होती है, इस कारण तीनों शिफ्ट में परीक्षा होती है। न्यू जीडीसी कॉलेज में थाने से पेपर लाने-ले जाने के लिए नियुक्त वरिष्ठ प्रोफेसर की ड्यूटी लगाने की पूरी प्रक्रिया को ही बदल दिया गया है। कॉलेज प्रिंसिपल ने गत मार्च में हुई बीए, बीकॉम और बीएससी फाइनल ईयर की परीक्षाओं के पेपर थाने से लाने-ले जाने की जिम्मेदारी कॉलेज के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सौंप दी है। तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य ने सचिन चंदेले, दीपक नरवले आदि की ड्यूटी के लिए लिखित आदेश जारी किया। इसके बाद अभी हो रही सेकंड ईयर की परीक्षाओं में भी यही व्यवस्था जारी है।
वरिष्ठ प्रोफेसर की नहीं लगाई ड्यूटी
इन कर्मचारियों की ड्यूटी यूनिवर्सिटी से प्राप्त पेपर को थाने में जमा करने और परीक्षा के दिन वापस लाने के लिए लगा दी गई है। इनके साथ कोई वरिष्ठ प्रोफेसर की ड्यूटी नहीं लगाई गई है। मल्हारगंज थाना से यह पूरा काम सहायक के रूप में जाने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कर रहे हैं। एक ओर परीक्षा के पेपर लगातार आउट हो रहे हैं। ऐसे में इस प्रकार की लापरवाही बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है। यूनिवर्सिटी भी इससे पूरी तरह अंजान है। यूनिवर्सिटी ने कभी भी कॉलेजों से पेपर कौन ला रहा है या जमा कर रहा है, इसकी जांच ही नहीं की है।
यह है प्रक्रिया
– यूनिवर्सिटी परीक्षा के कुछ दिन पूर्व पेपर के लिफाफे भेजती है।
– लिफाफे कॉलेज में सेंटर सुप्रिटेंडेंट या डिप्टी सेंटर सुप्रिटेंडेंट या परीक्षा कंट्रोल रूम में वरिष्ठ प्रोफेसर रिसीव करते हैं और उसके बाद इन्हीं के द्वारा ही इन्हें संबंधित थाना में जमा करवाया जाता है। इसकी इंट्री की जाती है। इनके साथ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी जाता है।
– परीक्षा के दिन परीक्षा के 45 मिनट से लेकर एक घंटा पूर्व थाने से इन पेपर के लिफाफों को इन्हीं वरिष्ठ प्रोफेसर्स द्वारा मिलान कर वापस लाया जाता है।
– इसके बाद परीक्षा के 20 मिनट से आधा घंटा पूर्व इन पेपर्स को खोला जाता है।
– परीक्षा के 10 मिनट पहले इन्हें परीक्षा कक्ष में विद्यार्थियों को वितरित करने के लिए भिजवाया जाता है।
कैसे लगा सकते हैं चतुर्थ श्रेणी कर्मी की ड्यूटी
कोई भी कॉलेज चतुर्थ श्रेणी कर्मी की ड्यूटी ऐसे काम में कैसे लगा सकता है। यहां पर प्रोफेसर का होना जरूरी है। हम मामले को दिखवाएंगे। वैसे भी हमने सभी परीक्षा सेंटर से पूरी जानकारी मांगी है।
– रचना ठाकुर, प्रभारी परीक्षा नियंत्रक, डीएवीवी
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