इस मौके पर चिन्मय मिशन कोयंबटूर की प्रमुख स्वामिनी विमलानंद सरस्वती ने कहा कि हम आज जो कुछ है, जो कर रहे हैं, वह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल है। जीवन का अंतिम लक्ष्य नित्य आनंद की प्राप्ति है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कला में नृत्य की अभिव्यक्ति सदैव दिव्य मानी गई है। नर्तन करना ईश्वर का स्वभाव है। हमारी सभी कलात्मक क्रियाएं ईश्वर से ही आती हैं और उन्हें ही समर्पित होती हैं।
अगले साल 20 अद्वैत जागरण युवा शिविर होंगेइस मौके पर आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास की ओर से 2025 में होने वाले युवा शिविर कैलेंडर का विमोचन किया गया। न्यास की ओर से 18 से 40 वर्ष के युवाओं के लिए देश के विभिन्न आश्रमों, संस्थानों में 20 अद्वैत युवा शिविर के आयोजन होंगे।नृत्य और भक्ति गीतों की प्रस्तुति से भाव विभोर हुए दर्शक
कार्यशाला का समापन शाम को हुआ। इस मौके पर संस्कृति विभाग और न्यास के सचिव शिव शेखर शुक्ला भी शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने न्यास की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि न्यास का मूल उद्देश्य अद्वैत वेदांत दर्शन का लोक व्यापीकरण है, जिससे पूरे विश्व में शांति, मैत्री, सद्भाव जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति हो। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष भी कार्यशाला आयोजित की जाएगी। समापन सत्र में स्वामिनी विमलानंद सरस्वती, पद्मविभूषण डॉ पद्मा सुब्रमण्यम, कुमकुमधर, प्रो यज्ञनेश्वर शास्त्री सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी शामिल हुए। इस मौके पर आचार्य शंकर के विवेक चूड़ामणि पर केंद्रित नृत्य एवं हर्षल पुलेकर ने भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी, जिससे मौजूद दर्शक भाव विभोर हो गए।