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49 डिग्री से अधिक तापमान पहुंचने से किन्नू के बगीचों को नुकसान, उत्पादक किसान परेशान

-हीट वेव के चलते किन्नू के पौधों को बचाने की कोशिश में जुटे किसान
-किन्नू बगीचों की गिरदावरी करवाकर किसानों को राहत दे सरकार

श्री गंगानगरJun 03, 2024 / 07:56 pm

Ajay bhahdur

49 डिग्री से अधिक तापमान पहुंचने से किन्नू के बगीचों को नुकसान, उत्पादक किसान परेशान

सादुलशहर. क्षेत्र के एक चक में किन्नू के बाग में तेज हीट वेव की भेंट चढ़ा किन्नू का पौधा।

आकाश अरोड़ा
सादुलशहर.
क्षेत्र में गत एक पखवाड़े से हीट वेव के चलते तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अधिकतम तापमान 49 डिग्री से भी अधिक होने से क्षेत्र में किन्नू के बगीचों में भारी नुकसान देखने को मिल रहा है, जिससे किन्नू उत्पादक किसान चिन्तित हैं।
किन्नू बागवान किसान ओमप्रकाश सहारण, रामङ्क्षसह कड़वासरा, जगदीश खीचड़, वकीलचन्द चौधरी, संजीव खीचड़, शिवप्रकाश सहारण, अजब ङ्क्षसह खीचड़, नोहित गर्ग, राजेश सहारण, सुखदेव ङ्क्षसह ढिल्लों, सतीश डागला आदि ने बताया कि सादुलशहर क्षेत्र में करीब 1400 हैक्टेयर में किन्नू व माल्टा फल के बगीचे लगे हुए हैं।
बढ़ते तापमान के कारण बगीचे झुलसने लगे हैं। क्षेत्र का कृषि रकबा भाखड़ा नहर ङ्क्षसचाई परियोजना के अधीन आता है व मौजूदा समय में भाखड़ा नहर में 1200 क्यूसेक ङ्क्षसचाई पानी खेतों में ङ्क्षसचाई के लिए निर्धारित है, जिसमें किसानों को एक माह में दो ङ्क्षसचाई पानी की बारियां मिलती हैं। इसके तहत एक सप्ताह नहर बन्द व एक सप्ताह नहर चालू रहने का क्रम है, लेकिन लगातार भयंकर गर्मी के चलते किन्नू के बागों को सप्ताह में दो बार ङ्क्षसचाई पानी अति आवश्यक है। ऐसे में बागवान किसानों के खेतों में बनी ङ्क्षसचाई पानी की डिग्गियों में पानी की कमी उत्पन्न होने लगी है। दूसरी तरफ बागवान किसान मंगत सहारण ने बताया कि किन्नू फल की खेती एक वर्षीय फसली चक्र में आती है व इस फसल से साल में एक बार ही किन्नू का उत्पादन होता है। ऐसी स्थिति में अगर तापमान इसी तरह बढ़ता रहा व गर्म हवाओं का दौर अगर 2-4 दिन और चला तो फल उत्पादन तो छोडि़ए पौधे भी खत्म हो जाएंगे, जिसके चलते क्षेत्र के बागवान किसान आर्थिक तौर पर बुरी तरह कमजोर होंगे।

पौधों को भीषण गर्मी की चपेट में आने से बचाने की कोशिश

बगीचों का फसल बीमा मौसम आधारित है, ऐसे में मौजूदा मौसम किन्नू बागों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर रहा है। जो फल बगीचों में लगे थे, उसमें 70 से 90 प्रतिशत फल हीट वेव के चलते जमीन पर गिरकर नष्ट हो गए हैं। बागवान किसान अपने उत्पादन की तरफ नहीं, बल्कि पौधों को भीषण गर्मी की चपेट में आने से बचाने की कोशिशों में लगा है।

विशेष फसल गिरदावरी करवाकर किसानों को राहत प्रदान करें

ागवान किसान सुभाष सहारण ने बताया कि वे अपने किन्नू बगीचों में ड्रिप सिस्टम से पानी दे रहे हैं, लेकिन गर्म लू के थपेड़ों के चलते पौधों की ऊपरी पत्तियां झुलसने से अब पूरे बगीचे में पीलापन आने लगा है व लगातार ङ्क्षसचाई पानी देने के बावजूद गर्म मौसम किन्नू बगीचों पर भारी पड़ रहा है। ऐसे हालातों में राज्य सरकार तत्काल किन्नू बगीचों की विशेष फसल गिरदावरी करवाकर किसानों को राहत प्रदान करें। एक वर्षीय फसली चक्र होने के कारण किन्नू फल की खेती करने वाले किसानों को दो वर्ष का आर्थिक नुकसान हो जाता है। ऐसे में उद्यान विभाग को आगे आकर फसल बीमा योजना में किसानों को जोडकऱ तत्काल प्रभाव से फसल खराबा क्लेम के रूप में राहत दी जा सकती है।

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