दमोह. शहर की जनता को समय बताने के लिए घंटाघर पर लगाई गईं घडिय़ां वापस से बंद हो गई हैं। इस वजह से यहां से गुजरने वाले लोगों को यह घंटाघर सही समय नहीं बता पा रहा है। यहां पर लगी तमाम घडिय़ां महज शोपीस बन चुकी हैं। २९ सितंबर को रोटरी क्लब के माध्यम से घडिय़ां बदली गई थीं। लोगों को उम्मीद थी कि अब शहर का समय बताने वाला घंटाघर वापस लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा, पर लोगों को यह नहीं मालूम था कि दान में मिली घडिय़ां दो महीने के भीतर ही फिर से बंद हो जाएंगी। बता दें कि घंटाघर पर चार साल से घडिय़ों को बदलने पर ध्यान नहीं दिया गया था। स्थिति यह थी कि लोगों ने भी इस ओर ध्यान देना छोड़ दिया था। रोटरी क्लब के प्रयास से घंटाघर की रौनक वापस आई थी, लेकिन लगता है कि घड़ी में लगाए गए सेल सस्ते थे, जो चंद दिनों में ही खराब हो गए।
-जीर्णोद्धार की भी दरकार, पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
घंटाघर अंग्रेजों के शासन की याद दिलाता है। यह स्थल सैकड़ों धार्मिंक आयोजनों का गवाह है। शहर का ह्दय स्थल कहे जाने वाले इस घंटाघर से अच्छी-बुरी तमाम तरह की यादें जुड़ी हुई हैं। पर इसे सजोह कर रखने की दिशा में प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। घंटाघर का बेस ऐरिया क्षतिग्रस्त हो चुका है। यह भवन अब मरम्मत मांग रहा है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
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