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हैरानी: 13 साल में जिला अस्पताल में मरीज हुए दोगुने, बढ़ चुकी आबादी, पर नहीं बना सिविल अस्पताल

-२०११ की जनगणना के अनुसार शासन स्तर से उपलब्ध कराई जा रही दवाएं और संसाधान।
-जनसंख्या में हुई बढ़ोत्तरी के हिसाब से शहर में बनाया जा सकता है सिविल अस्पताल

दमोहDec 18, 2024 / 12:02 pm

आकाश तिवारी

दमोह. जनता के इलाज के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का मूल्यांकन जनसंख्या पर आधारित होता है। उसी के हिसाब से सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में इलाज की व्यवस्था बढ़ाई जाती है, लेकिन दमोह शहर में इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बता दें कि जिले में 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई है। बीते 1३ वर्षों में आबादी भी काफी बढ़ चुकी है।
इधर, जिला अस्पताल की बात करें तो यहां मरीजों के लिए जो संसाधान और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं वह १३ साल पहले हुई जनगणना के आधार पर ही मिल रही है, जबकि बीते वर्षों में मरीजों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। इतना ही नहीं बेड क्षमता से दो गुना तक मरीज भर्ती हो रहे हैं। जनगणना न होने से मुख्यालय पर सिविल अस्पताल नहीं बन पा रहा है। इससे जिला अस्पताल का लोड बढ़ता जा रहा है। जानकार हैरानी होगी कि अब तक अस्पताल प्रबंधन ने इसकी मांग को लेकर कोई पत्राचार तक नहीं किया है। बता दें कि अमूमन मुख्यालय पर एक सिविल अस्पताल होता होता है। बकायदा स्वास्थ्य मंत्रालय इसकी मंजूरी देता है।
-५० से १०० बेड तक की बन सकता है सिविल अस्पताल
बता दें कि सिविल अस्पताल 50 से 100 बेड तक की बनाई जा सकती है। यह अस्पताल से दूरी पर बन सकती है। जबलपुर नाकाए तीन गुल्लीए बड़ापुराए हटा नाका जैसे क्षेत्र में किसी एक जगह पर यह बनाई जा सकती हैए लेकिन जिम्मेदारों ने अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। देखा जाए तो सिविल अस्पताल की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि शहर का विस्तार भी हो रहा है। आबादी बढऩे के साथ मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। शहर के आखिरी छोर पर या यूं कहें कि जहां पर नया दमोह बनाया गया है। वहां पर एक सिविल अस्पताल बन सकती हैए जिससे जिला अस्पताल का लोड कम हो सकता है।
-वार्ड बढऩा तय, प्लान बनाने की जरूरत
वार्डों का परिसीमन होना है। ९ ग्राम पंचायतों के गावों को शहर में शामिल किया जा चुका है। नगर पालिका प्रशासन जल्द ही चिंहित गावों को शहर में शामिल करेगी। इस स्थिति में यदि सिविल अस्पताल बनता है तो मरीजों को इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।
यह होगा फायदा
-अस्पताल में मरीजों का लोड कम होगा।
-जांचें भी क्षमता के अनुरूप होगी। इससे जांच की गुणवत्ता बेहतर होगी।
-काउंटरों पर लंबी.लंबी कतारें कम होगी।
-भर्ती वार्डों में पलंग के लिए हायतौबा नहीं रहेगी।
-सिविल अस्पताल बनने से अलग से चिकित्सक भी मिलेंगे।
यह हो रही परेशानी
-ओपीडी में लग रही लंबी-लंबी कतारें।
-एक मरीज को पर्ची बनवाने से लेकर इलाज कराने में 4 से 5 घंटे तक का लग रहा वक्त।
-भर्ती वार्डों में बीमारी सीजन पर नहीं मिलते खाली पलंग।
-न्यू दमोह के मरीजों को भी जिला अस्पताल में ही कराना पड़ रहा इलाज।
इनका कहना
आबादी के हिसाब से शहर में एक सिविल अस्पताल होना चाहिए। इस संबंध में कलेक्टर से बात कर उन्हें अवगत कराता हूं।
डॉ. राकेश राय, सिविल सर्जन दमोह

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