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हैरानी: आपको सर्दी जुकाम, शरीर में चकते और फेफड़े में पानी की शिकायत है तो कराएं डेंगू की जांच

२०२१ के बाद वापस लौटा डेंगू को समझने में डॉक्टरों के छूट रहे पसीने
-वेरिएंट में बदलाव के कारण डेंगू के लक्षणों को पहचानना हुआ कठिन

दमोहOct 15, 2024 / 12:21 pm

आकाश तिवारी


-२०२१ के बाद वापस लौटा डेंगू को समझने में डॉक्टरों के छूट रहे पसीने
-वेरिएंट में बदलाव के कारण डेंगू के लक्षणों को पहचानना हुआ कठिन

दमोह. २०२१ के बाद वापस फिर से डेंगू बीमारी ने जिले में अपनी एंट्री दी है। इस बार इस बीमारी का वेरिएंट इतना प्रभावी है कि उसे पहचान पाना डॉक्टरों के लिए मुश्किल हो रहा है। ऐसे मरीजों डेंगू पॉजिटिव निकल रहे हैं, जिनकी रिपोर्ट देखकर डॉक्टर खुद हैरान है। जिला अस्पताल के विशेषज्ञों की माने तो अभी तक डेंगू के मरीज की पहचान ठंड देकर तेज बुखार, सिर दर्द और प्लेटलेट्स कम होने से आदि लक्षणों से होती थी, पर तीन साल बाद वापस लौटा डेंगू समझ से परे है।
डेंगू के मरीजों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। बताया जाता है कि सर्दी-जुकाम के मरीज भी डेंगू पॉजिटिव निकल रहे हैं। इसके अलावा फेफड़ों में भी डेंगू की वजह से पानी भर रहा है। चेहरे में चकते जैसी शिकायत कई डेंगू मरीजों में देखने का मिल रही है। इधर, मरीजों को ठीक होने में भी इस बार १० से १२ दिन लग रहे हैं।
-५०० के पार पहुंच चुके मरीज, विभाग के पास नहीं जानकारी
जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या लागातार बढ़ रही है। अगस्त महीने के बाद से डेंगू का डंक लोगों की परेशानी बन रहा है। सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में सबसे ज्यादा डेंगू मरीज भर्ती हो रहे हैं। रेपिड कार्ड से डेंगू की पुष्टी होने के बाद मरीजों का मैकलाइजा टेस्ट नहीं कराया जा रहा है। यही कारण हैं कि मलेरिया विभाग के पास १६४ डेंगू मरीजों की जानकारी है। जबकि एक अनुमान के तौर पर ढाई महीने में ५०० सौ से अधिक डेंगू मरीज चिंहित हो चुके हैं।
-सीएमएचओ के निर्देश का नहीं हो रहा पालन
डेंगू की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा जरूरी आंकड़े होते हैं, जिनके जरिए शासन को मालूम चलता है कि बीमारी बढ़ रही है या नियंत्रण में है। यह तभी होगा जब निजी अस्पतालों से भी मरीजों की जानकारी दी जाए, पर देखा जा रहा है कि जिले में कई नर्सिंग होम और क्लीनिक हैं, जहां पर डेंगू मरीजों का इलाज हो रहा है, लेकिन इसकी जानकारी सीएमएचओ को नहीं दी जा रही है। कुल मिलाकर देखे तो सीएमएचओ के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है।
-प्लेटलेट्स कम होने के कुछ हैरान करने वाले मामले
केस-१
दमोह ब्लॉक में रहने वाले एक ५३ साल के डेंगू मरीज ने एक निजी सेंटर पर डेंगू की जांच कराई थी, जहां उसकी प्लेटलेट्स ११ हजार थी। दो दिन बाद वापस जांच कराई तो उसमें प्लेटलेट्स ५ हजार तक पहुंच गई। मरीज को जिला अस्पताल से जबलपुर रेफर किया गया, जहां ५ दिन बाद उसकी प्लेटलेट्स ९० हजार हुई और अब स्वस्थ्य बताया जा रहा है।
केस-२
शहर के ही एक प्रतिष्ठित व्यक्ति भी डेंगू पॉजिटिव हुए थे। उनकी प्लेटलेट्स १५ हजार तक पहुंच गई थी। मसूड़े में ब्लड आने जैसी शिकायत के आधार पर मरीज को जबलपुर रेफर किया गया, जहां एक हफ्ते बाद वह स्वस्थ्य हो पाए।
यहां मलेरिया विभाग बरत रहा लापरवाही
-डोर-टू-डोर लार्वा सर्वे नहीं हो रहा।
-निजी अस्पतालों में इलाजरत डेंगू मरीजों की जानकारी न होने से संबंधित मरीज के घर व आसपास नहीं हो रहा लार्वा सर्वे।
-घरों की छतों व खाली प्लाटों में भरे पानी में नहीं हो रहा दवाओ का छिड़काव
वर्शन
इस बार डेंगू का वेरिएंट बदला है। लक्षणों में वृद्धि देखी जा रही है। सर्दी-जुकाम, शरीर में चकते और फेफड़े में पानी भरने जैसे मरीजों की रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आ रही है। मरीजों को भी स्वस्थ्य होने में वक्त लगा रहा है।
डॉ. सुमित रावत, प्रभारी वायरोलॉजी लैब बीएमसी

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