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Jammu Kashmir विधानसभा में लगाए ‘भारत माता की जय’, ‘पाकिस्तानी एजेंडा नहीं चलेगा’ के नारे

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक फयाज मीर ने अनुच्छेद 370 के समर्थन में एक बैनर प्रदर्शित करने का प्रयास किया। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के विधायक सज्जाद लोन और एआइपी के शेख खुर्शीद ने इस कदम का समर्थन किया जिससे भाजपा सांसदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

जम्मूNov 08, 2024 / 06:10 pm

Deendayal Koli

Jammu Kashmir विधानसभा में चल रहे सत्र के अंतिम कार्य दिवस पर विशेष दर्जे के प्रस्ताव पर हंगामा जारी रहा। Jammu Kashmir विधानसभा में शुक्रवार सुबह जैसे ही सत्र शुरू हुआ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक फयाज मीर ने अनुच्छेद 370 के समर्थन में एक बैनर प्रदर्शित करने का प्रयास किया। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के विधायक सज्जाद लोन और एआइपी के शेख खुर्शीद ने इस कदम का समर्थन किया जिससे भाजपा सांसदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
Jammu Kashmir विधानसभा में हंगामे के बीच खुर्शीद को मार्शलों ने सदन से बाहर निकाल दिया। सज्जाद लोन ने अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए अपने संकल्प की एक प्रति रखी, जिसे उन्होंने गुरुवार को प्रस्तुत किया था। Jammu Kashmir विधानसभा में जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक जाविद बेग उपराज्यपाल के अभिभाषण पर बोलने के लिए खड़े हुए, तो भाजपा सांसदों ने विशेष दर्जे के प्रस्ताव के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा। उन्होंने मांग की कि प्रस्ताव वापस लिया जाए और “भारत माता की जय”, “पाकिस्तानी एजेंडा नहीं चलेगा” और “अलगाववादी एजेंडा नहीं चलेगा” के नारे लगाए। जैसे ही कुछ भाजपा सदस्यों ने विरोध के बीच वेल में जाने का प्रयास किया, उन्हें मार्शल ने सदन से बाहर कर दिया। बाकी भाजपा विधायकों ने बहिर्गमन कर दिया।
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अनुच्छेद 370, 35ए पर स्पष्ट प्रस्ताव लाने की जरूरत: लोन

Jammu Kashmir में हंदवाड़ा के विधायक एवं जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने शुक्रवार को विधानसभा में अनुच्छेद 370, 35 ए पर एक स्पष्ट प्रस्ताव लाने की जरूरत बताई। लोन ने कहा कि विशेष दर्जा की बहाली के लिए हाल ही में पारित प्रस्ताव ‘कमजोर’ है और इसमें अनुच्छेद 370, 35 ए का उल्लेख नहीं है। साथ ही 5 अगस्त, 2019 के एकतरफा फैसलों की स्पष्ट निंदा का भी अभाव है। उन्होंने उपराज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि 2014 के बाद से यह उनका पहला भाषण है, जिसमें बीच के वर्षों में हुए गहन परिवर्तनों पर जोर दिया गया। अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करना, पांच साल तक चुनाव की अनुपस्थिति और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में घटाना, ये सब उसके लोगों की सहमति के बिना किया गया।
उन्होंने कहा कि मुझे यह स्वीकार करते हुए दुख हो रहा है कि अब हम ‘राज्यपाल’ के बजाय ‘उपराज्यपाल’ को संबोधित करते हैं। पांच अगस्त को हमेशा एक काले दिन के रूप में याद किया जाएगा, जब लोगों की इच्छा को कुचल दिया गया। राजभवन में एक गैर-राज्य विषय ने लोगों की ओर से ऐसे फैसलों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें जम्मू-कश्मीर की आवाज की अनदेखी की गई। विधानसभा के कमजोर होते अधिकार पर विचार करते हुए लोन ने कहा कि पूर्ववर्ती विधायिका और आज की विधायिका की तुलना नहीं की जा सकती। हम अपनी या कैबिनेट की शक्तियों की सीमा को भी नहीं समझते हैं। यह विधानसभा अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में कमजोर है।

लोगों की इच्छा को दरकिनार कर थोपा गया निर्णय

उन्होंने केंद्र सरकार के दृष्टिकोण की निंदा करते हुए कहा ​कि लोगों की इच्छा को दरकिनार करते हुए एक व्यापक बहुमत वाला निर्णय थोपा गया। अब, इस विधानसभा की जिम्मेदारी है कि वह 05 अगस्त, 2019 की कार्रवाई को नैतिक रूप से अस्वीकार करके या उनका समर्थन करके उस इच्छा को मूर्त रूप दे। अगर हम कहते हैं कि इस सदन की प्रतिक्रिया कमजोर है, तो यह विश्वासघात का आरोप नहीं है, बल्कि एक चूक को सुधारने का आह्वान है। उन्होंने विधानसभा से एक मजबूत और स्पष्ट रुख अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज का प्रस्ताव आने वाले वर्षों तक गूंजता रहेगा, जिससे भविष्य की कानूनी चुनौतियों में मदद मिल सकती है। उन्होंने आग्रह किया, “हम पर यह जिम्मेदारी है कि हम मौजूदा प्रस्ताव को मजबूत करें या एक नया, स्पष्ट रुख अपनाएं, जो स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 370 और 35ए को संबोधित करता हो। इस विधानसभा को जनता की इच्छा के साथ विश्वासघात करने वाली विधानसभा के रूप में याद न किया जाए।”

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