अपनी-अपनी गणना के अनुसार दावा
पंडित लक्ष्मीकांत मिश्रा ने बताया कि 31 अक्टूबर को सुधा तिथि है अर्थात इस तारीख को अमावस्या तिथि पूरे दिन और पूरी रात रहेगी और साथ ही प्रदोष काल भी होगा। जबकि 1 नवम्बर को प्रदोष काल पूर्ण नहीं है इसलिए 31 तारीख को दिवाली मनाना शास्त्र सम्मत है। उन्होंने कहा कि यदि हमारे सनातन धर्म के धर्माचार्य अथवा शंकराचार्य कह दे कि अमुक दिन दिवाली है तो किसी तरह का कोई संशय नहीं रहेगा लेकिन, अभी तक उनकी ओर से ऐसा कोई बयान नही आया है इसलिए विद्वजन अपनी-अपनी गणना के अनुसार दिवाली का उचित दिन बता रहे हैं।
अधिक मास के कारण ऐसी स्थितियां बनी
पण्डित अनंत शयनम मिश्रा ने कहा कि अधिक मास के कारण भी कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती है। ऐसे में तिथि का उचित दिन और शुभ मुहूर्त की सटीक जानकारी उपलब्ध कराना विद्वानों का दायित्व बनता है। वहीं बीकानेर निवासी रवि छंगानी ने कहा कि सभी की अपनी गणना होती है और वे उसके आधार पर त्यौहार के उचित दिन का चयन करते हैं। उन्होंने कहा कि इस साल दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवम्बर दोनों दिन मनाई जाएगी।
ये है बही खाता खरीदने का शुभ मुहूर्त
दिवाली पूजन के लिए बही खाता खरीदने के लिए विशेष रूप से शुभ मुहूर्त देखा जाता है। पंडित लक्ष्मीकांत मिश्रा के अनुसार व्यापारिक दृष्टिकोण से गुरु पुष्य योग को बहुत ही शुभ माना गया है। इसे विवाह के अलावा अन्य सभी शुभ कार्यों में बहुत प्रशस्त माना गया है। उन्होंने बताया कि यह योग गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होने से बनता है। दिवाली के पहले 24 अक्टूबर को 11.15 बजे से गुरु पुष्य नक्षत्र प्रारम्भ हो रहा है जो पूरे दिन रहेगा। इसके अलावा 21 अक्टूबर को दोपहर 2. 30 बजे से शाम 5 बजे तक तथा 25 अक्टूबर को सुबह 9 बजे से 10 बजे तक बही खाता लेने का शुभ मुहूर्त रहेगा।