जिला प्रशासन ने उपस्थिति कम होने पर 26 विभागों से मांगा स्पष्टीकरण, एप पर 62 विभागों में 13,105 एम्प्लॉई रजिस्टर्ड अधिकारी और कर्मचारियों के आने-जाने में सुधार नहीं हो रहा
शासन के सख्ती के बाद भी शासकीय कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारियों के आने-जाने में सुधार नहीं हो रहा है। सार्थक एप पर ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था चालू हुए एक माह से अधिक हो गया। इसके बाद भी अभी तक 50 % अधिकारी और कर्मचारी एप पर हाजिरी नहीं लगा रहे हैं। हैरानी की बात तो यह कि सुबह की तुलना में शाम 10 % उपस्थिति अधिक रहती है। इतना नहीं अभी भी कार्यालय में 18 % अधिकारी कर्मचारी देर से पहुंच रहे हैं। जिला प्रशासन ने शिक्षा, राजस्व समेत 62 विभागों की लिस्ट जारी की है। उपस्थिति रिपोर्ट के अनुसार सभी विभागों में 13,105 एम्प्लॉई रजिस्टर्ड हैं। इसमें सुबह 6142 और शाम 7,490 कर्मचारी उपस्थित हो रहे हैं। जबकि 1,348 से कर्मचारी कार्यालय देर से पहुंच रहे हैं। गत टीएल बैठक में समीक्षा के दौरान विभाग प्रमुखों से रिपोर्ट तलब की हैै। इसके अलावा उपस्थिति में लापरवाही बरतने वाले 26 विभाग प्रमुखों से जिला प्रशासन ने स्पष्टीकरण मांगा है।
आबकारी, पीआइयू सबसे अधिक कर्मचारी देर से पहुंच रहे आबकारी, पीआइयू में सबसे अधिक कर्मचारी कार्यालय में देर से पहुंच रहे हैं। सार्थक एप रिपोर्ट के अनुसार आबकारी विभाग में 80 प्रतिशत कर्मचारी देर से पहुंच रहे हैं। इसी तरह पीआइयू में 40 प्रतिशत कर्मचारी समय से नहीं पहुंच रहे हैं। इसी तरह ग्रामीण एवं पंचायत विभाग के 44 प्रतिशत कर्मचारी कार्य स्थल पर देर से पहुंच रहे हैं। लोकल इलेक्शन में 33 प्रतिशत कर्मचारी देर से कार्यालय पहुंच रहे हैं। इसी तरह अन्य विभागों में भी देर से पहुंचने वाले कर्मचारियों की संख्या एक हजार से अधिक है।
इन विभागों से मांगा स्पष्टीकरण महिला बाल विकास, पंचायत, आइटीआई, पॉलीटेकनिक, राजस्व, एनवीडीए, मेडिकल कालेज, स्वास्थ्य विभाग, जिला आबकारी, उद्यानिकी, सामाजिक न्याय विभाग, भू-जल, जिला पेंशन कार्यालय, आरटीओ समेत 26 विभागों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा पत्रिका ने ‘ सार्थक एप पर हाजिरी में कोताही, राजस्व समेत 12 विभागों की उपस्थिति शून्य ’ शीर्षक पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। मामले में जिला प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए विभाग प्रमुखों से पूछताछ करते हुए नोटिस जारी की है। इसमें कई विभाग प्रमुखों से स्पष्टीकरण भी मांगा है।