बीस हेक्टेयर में किसानों का क्लस्टर तैयार करेंगे उर्वरक और रासायनिक खेती से फसलों के उत्पादन महंगा हो रहा है। इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है। रासायनिक खादों का उपयोग कम हो इसके लिए राजस्व सर्किल स्तर पर बीस हेक्टेयर में किसानों का क्लस्टर तैयार करेंगे। प्रारंभिक चरण में समूह में शामिल होने वाले किसान को दो हेक्टेयर का लाभ मिलेगा। केंद्र शासन ने परंपरागत जैविक खेती करने वाले किसान को आगामी तीन साल तक प्रति हेक्टेयर पांच-पांच हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने की कार्य योजना तैयार की है। प्रारंभिक चरण में पुनासा, पंधाना, छैगांव माखन और खालवा ब्लाक क्षेत्र में किसानों के समूह बनाए जाएंगे। इसमें एफपीओ सदस्य बनने वाले किसानों को भी शामिल किया जाएगा। क्लस्टर बनाने के साथ ही इसकी मॉनीटरिंग के लिए सेवा प्रदाता बनाए जाएंगे।
जिला स्तरीय कमेटी में ये होंगे सदस्य कृषि विभाग के पत्र के अनुसार जिला स्तरीय कमेटी में कलेक्टर समेत सात सदस्य होंगे। इसमें कलेक्टर अध्यक्ष, उप संचालक कृषि सदस्य सचिव, परियोजना संचालक (आत्मा ) सदस्य, सहायक संचालक उद्यानिकी सदस्य, अध्यक्ष स्थाई कृषि समिति सदस्य, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा का प्रतिनिधि सदस्य, कृषि वैज्ञानिक विशेष सदस्य, जिला परियोजना प्रबंधक एसएलआरएलएम सदस्य होंगे।
ढाई हजार किसान कर रहे प्राकृतिक खेती जिले में नर्मदा नदी के सीमावर्ती गांवों में करीब ढाई हजार किसान प्राकृतिक खेती तीन साल पहले से कर रहे हैं। प्रदेश की तत्कालीन शिवराज सरकार ने प्राकृतिक खेती पर बल दिया था। तत्कालीन समय नदियों के दोनों छोर में पांच किमी की सीमा के अंतर्गत आने वाले गांवों में प्राकृतिक खेती के लिए ढाई हजार से अधिक किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर सहमती दी थी। और नर्मदा नदी को रासायनिक तत्वों से बचाने का संकल्प पत्र भरकर प्राकृतिक खेती शुरू कर किया है। कई किसानों ने जैविक खाद से सब्जी समेत अन्य फसलों का उत्पादन कर रहे हैं।
वर्जन शासन ने जैविक खेती को बढ़ावा देने व्यवस्था शुरू की है। शासन के पत्र के आधार पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्रारंभ में किसानों का क्लस्टर बनाकर प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू होगी। शासन की गाइड लाइन पर प्रोत्साहन राशि के लिए जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। आनंद सोलंकी, परियोजना संचालक ( आत्मा )