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सरिस्का, रणथंभोर समेत प्रदेश की सभी सेंचुरी की जमीन पर संचालित होटल-रेस्टोरेंट बंद करने के आदेश

सरिस्का, रणथंभोर टाइगर रिजर्व समेत प्रदेश के सभी राष्ट्रीय पार्कों की जमीन पर कॉमर्शियल गतिविधियां (होटल-रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट, खानें) संचालित नहीं होंगी। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर वन मंत्रालय से जारी गाइड लाइन के पालन के आदेश सभी कलक्टर को दिए हैं।

अलवरJul 18, 2024 / 11:37 am

susheel kumar

alwar ke sariska century ka board

– प्रदेश सरकार ने सभी कलक्टर को जारी किए आदेश, सीटीएच, बफर, सेंचुरी, नेशनल पार्क में नहीं चल सकती कॉमर्शियल गतिविधियां
– इस एरिया की जमीन का भू रूपांतरण नहीं होगा, जहां ईएसजेड नहीं है, वहां सेंचुरी लाइन से 10 किमी तक होटल-रेस्टोरेंट नहीं खुल सकते

– जहां पर ईएसजेड बन चुका, वहां सीटीएच, बफर, सेंचुरी लाइन से एक किमी दूरी तक खनन, होटल व अन्य कॉमर्शियल गतिवधियां नहीं होंगी
सरिस्का, रणथंभोर टाइगर रिजर्व समेत प्रदेश के सभी राष्ट्रीय पार्कों की जमीन पर कॉमर्शियल गतिविधियां (होटल-रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट, खानें) संचालित नहीं होंगी। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर वन मंत्रालय से जारी गाइड लाइन के पालन के आदेश सभी कलक्टर को दिए हैं। साफ कहा है कि क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) या बफर सीमा से एक किमी तक कोई भी कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित न होने पाएं। सरकार ने यह भी कहा है कि सीटीएच, बफर, सेंचुरी व ईको सेंसेटिव जोन (ईएसजेड) में आई जमीन का भू रूपांतरण किसी भी दशा में न किया जाए। यदि किसी प्रोजेक्ट के लिए आवश्यकता महसूस हो रही हो तो उसके लिए संबंधित उप वन संरक्षक की अनुमति जरूर ली जाए। यह आदेश आते ही होटल-रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट, फार्म हाउस संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है।
इस तरह चलाया पत्रिका ने अभियान…एनजीटी में सुनवाई 8 को

राजस्थान पत्रिका ने सरिस्का के आसपास सरकारी जमीन पर चल रही कॉमर्शियल गतिविधियों का मुद्दा उठाया था। 23 मई से यह अभियान लगातार जारी है। यह प्रकरण एनजीटी में दायर हुआ। राजेंद्र तिवारी केस पर एनजीटी ने प्रशासन को आदेश दिए कि सीटीएच की 54 हजार हैक्टेयर जमीन सरिस्का के नाम की जाए। साथ ही सीटीएच व बफर क्षेत्र में कॉमर्शियल गतिविधियों के संचालन न होने के भी आदेश दिए। अगली सुनवाई 8 अगस्त को है। एनजीटी के दबाव के चलते सरकार फिर से जागी। सुनवाई से पहले अतिरिक्त शासन सचिव (एसीएस) वन अपर्णा अरोड़ा ने कॉमर्शियल गतिविधियों के संचालन न होने के आदेश जारी कर दिए। उन्होंने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय उद्यान, बाघ संरक्षण क्षेत्र, सीटीएच, बफर, ईएसजेड में िस्थत राजस्व भूमि का अधिकारियों की ओर से वन विभाग की एनओसी के बिना भू परिवर्तन कर दिया जाता है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
प्रशासन का सर्वे ही नहीं हो पा रहा पूरा

जिला प्रशासन अलवर सरिस्का के सीटीएच एरिया में चल रहे होटल-रेस्टोरेंट का सर्वे करवा रहा है। अलवर रेंज के अलावा अजबगढ़ क्षेत्र की सर्वे रिपोर्ट आ गई, लेकिन कार्रवाई अभी तक सामने नहीं आई। टहला में ज्यादा होटल हैं। वन विभाग के अफसर भी यहां होटल चला रहे हैं। यहां सर्वे करने से प्रशासन के अफसर ही घबरा रहे हैं। अकबरपुर क्षेत्र आदि की सर्वे रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
सरकार ने इन आदेशों के पालन के निर्देश दिए

– सर्वोच्य न्यायालय ने 20 अप्रेल 2023 को आदेश दिए थे कि राष्ट्रीय उद्यान / वन्यजीव अभ्यारण्य/रक्षित वन क्षेत्र की सीमा से 1 किलोमीटर या ईएसजेड, जो भी अधिक हो तक खनन कार्य और प्रतिबन्धित श्रेणी की व्यवसायिक / औद्योगिक गतिविधियां नहीं होनी चाहिए। जिन राष्ट्रीय उद्यान/वन्यजीव अभ्यारण्य में ईएसजेड नहीं बना है, वहां सेंचुरी लाइन से 10 किलोमीटर तक यह गतिविधियां न हों।
– पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 6 मई 2022 के आदेश भी सरकार ने पत्र में दिए हैं। मंत्रालय के अनुसार, रक्षित क्षेत्र, वन्यजीव अभ्यारण्य, राष्ट्रीय उद्यान, बाघ रिजर्व एवं लिंकिंग एरिया में गतिविधियों के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत स्वीकृति के लिए गाइड लाइन जारी की गई हैं। ऐसे में अधिकारी इसका पालन करें।
– पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 30 दिसम्बर 2019 में जारी किए आदेश में कहा था कि बाघ रिजर्व (कोर/बफर), कॉरिडोर / लिंकिंग एरिया में आधारभूत विकास परियोजनाओं की स्वीकृति वन विभाग के अलावा राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से ली जाए।
– वन विभाग राजस्थान सरकार ने 31 मार्च 2015 को सरिस्का व रणथंभोर बाघ परियोजना, जवाई लेपर्ड संरक्षण रिजर्व एवं कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य के चारों ओर निर्माण गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए आदेश जारी किए थे। रणथम्भोर, सरिस्का सीटीएच व जवाई लेपर्ड संरक्षण रिजर्व एवं कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य की अधिसूचित सीमा की एक किलोमीटर की परिधि में व्यावसायिक (होटल सहित) एवं औद्योगिक (खनन सहित) गतिविधियों को प्रतिबंधित किया था। संबंधित राजस्व/नगरीय निकाय प्राधिकारी की ओर से एक किलोमीटर की सीमा तक भू-सम्परिवर्तन पर भी रोक लगाई थी।

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