छतरपुर. जिला अस्पताल में दिल की धडक़न जांचने वाली ईको मशीन आ गई है। इस मशीन के स्थापित होने से हार्ट के मरीजों को अपनी जांच कराने झांसी या ग्वालियर नहीं जाना पड़ेगा। जिला अस्पताल में हर साल सर्दियों के मौसम में 350 से ज्यादा मरीज हार्ट अटैक के आते हैं। ऐसे मरीजों के लिए इस मशीन से इलाज की बड़ी सुविधा मिलेगी। दिल की धडक़न में किसी प्रकार की असामान्यता होने पर ईको टेस्ट करवाया जाता है। जिला अस्पताल में धडक़न की अनियमितता, छाती में दर्द या सांस फूलना जैसी समस्याओं से जुड़े लक्षण की इमरजेंसी आने पर मरीजों की जांच की जाएगी। स्टेथेस्कोप से जांच दौरान यदि डॉक्टर को दिल धडक़ने की आवाज में कुछ असामान्यता महसूस होती है, तो डॉक्टर ईको टेस्ट करवाने का सुझाव दे सकते हैं।
जिला अस्पताल के एमडी करेंगे जांच
सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार ने बताया कि तीन दिन पहले प्रदेश शासन द्वारा हार्ट की जांच करने वाली ईको मशीन उपलब्ध कराई गई है। आगामी दिनों में कंपनी के इंजीनियर आएंगे और स्थापित कर इंस्टॉल करेंगे। जिसे जिला अस्पताल में पदस्थ एमडी मेडिसन डॉ. अरविंद सिंह, शोएब रजा, डॉ. अंशुमन तिवारी संचालित करेंगे। सिविल सर्जन ने बताया कि यदि इमरजेंसी में जरूरत पड़ी तो जिला अस्पताल में पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र शर्मा और डॉ. नरेश त्रिपाठी भी मरीजों की जांच करेंगे। इस मशीन का संचालन शुरू होने से हार्ट के मरीजों की स्थानीय स्तर पर ही जांच हो सकेगी। जिससे समय पर हार्ट के मरीज को इलाज मिल जाएगा।
नजर आ जाती हैं तस्वीर
इस इको कार्डियोग्राफी मशीन से जांच में वाल्व और चेंबर आदि की तस्वीरें नजरें आती हैं। इससे डॉक्टर को दिल के पंपिंग कार्यों की जांच करने में मदद मिलती है। इस टेस्ट में ध्वनि तरंगों (अल्ट्रासाउंड) का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें दिल की तस्वीरें बनाई जाती है। हार्ट के आकार में अंतर, पंप करने की क्षमता में कमी, वाल्व संबंधी रोग और समस्याएं, दिल की मांसपेशियों में क्षति, ट्यूमर व जन्मजात हार्ट रोग का पता लगाया जा सकता है।
ये लक्षण आते है सामने
डॉ. अरविंद सिंह का कहना है कि दिल तक रक्त पहुंचाने वाली एक या एक से अधिक धमनियों में रुकावट आने पर हार्ट अटैक आता है। छाती की हड्डियों में दबाव या दर्द का अहसास हो तो हार्ट की शिकायत हो सकती है। सीने, बांह कोहनी या पीठ, जबड़े, गले और बांहों में मरीज असहज महसूस करते हैं। मितली, पेट में समस्या, कमजोरी, दिल की धडक़नों का तेज या अनियमित होना भी इसके लक्षण हैं।
युवाओं में बढ़ रहा खतरा
हाल के समय में युवाओं के बीच हार्ट अटैक की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. ज्यादातर भारत में पिछले दस वर्षों के भीत युवा व्यस्कों में दिल का दौरा पडऩे का खतरा निश्चित रूप से तेजी से बढ़ा है. जिम हो या फिर राह चलते युवा हार्ट अटैक के चलते अपनी जान गंवा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि दिल का दौरा उन रोगियों में आम है, जिनके घर में पारिवारिक मोटापा है या फिर जिनको विरासत में हाई कोलेस्ट्रॉल मिला हुआ है। यानी कि जिनके परिवार में हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत रही हो.। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि युवाओं में दिल के दौरे का सबसे आम कारण धूम्रपान है। धूम्रपान के चलते 20 और 30 के उम्र में हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा बढ़ जाता है.
स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर लोग नहीं बदलते अपनी लाइफस्टाइल
डॉ. अब्दुल हकीम का कहना है कि मरीजों को जब भी पीठ दर्द, आसन से संबंधित मुद्दों या तनाव जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं, तो वे अपनी समस्याओं के लिए केवल एक अल्पकालिक इलाज यानी कि त्वरित राहत के लिए इलाज कराते हैं., लेकिन अपनी समस्या से छुटकारा पाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव नहीं करते हैं। हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए तनाव रहित जीवन शैली जीना शुरू करें। लेट नाइट शिफ्ट, अनियमित स्लिप साइकिल के चलते भी तनाव बढ़ता जाता है। व्यायाम स्वस्थ हृदय का एक अहम हिस्सा है। थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करते रहें.। क्योंकि जब आप चलते हैं तो आपके शरीर की चर्बी टूट जाती है.। किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि नहीं करने पर शरीर में वसा (फैट) बनने लगती है, जिससे गंभीर समस्या हो सकती है।