जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी महिला का पुलिस में ससुराल वालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना या क्रूरता की शिकायत दर्ज करवाना उसका कानूनी हक है। पति, सास-ससुर आदि के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करना नहीं माना जा सकता।
यह भी पढ़ें : सिंधिया की खाली सीट पर केपी यादव जाएंगे राज्यसभा! 18 जून तक इस्तीफा देंगे केंद्रीय मंत्री इसी के साथ जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने पत्नी और उनके माता-पिता के खिलाफ दर्ज की गई धारा-306 की एफआईआर खारिज करने के आदेश जारी किए। इस मामले में कोर्ट में चल रहे प्रकरण को भी रद्द करने के आदेश दिए हैं।
सागर की याचिकाकर्ता बीनू लोधी, उसकी मां शिव कुमारी लोधी और पिता बहादुर लोधी की ओर से इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में उनपर धारा-306 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किए जाने को चुनौती दी गई।
याचिका में बताया गया कि बीनू की शादी नरसिंहपुर निवासी मनीष लोधी से हुई थी। पति और सास-ससुर दहेज के लिए उसे मानसिक तथा शारीरिक यंत्रणाएं देते थे। उसके साथ क्रूरता करते थे। बाद में उसे घर से भी निकाल दिया था। इस पर बीनू ने अपने पति और सास-ससुर के खिलाफ राहतगढ़ थाना में शिकायत दर्ज करवाई।
6 मई 2023 को तीनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज होने के बीस दिन बाद बीनू के पति मनीष लोधी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक के परिजनों ने पुलिस को शिकायत की कि पत्नी ने दहेज प्रताड़ना की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई इसलिए मनीष ने आत्महत्या की। तब पुलिस ने बीनू और उसके माता पिता के खिलाफ धारा-306 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया था।
हाईकोर्ट में याचिका में बीनू और उसके मां—पिता ने दर्ज एफआईआर के साथ कोर्ट में चल रहे केस को भी खारिज करने की अपील की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि मनीष की आत्महत्या के बाद पुलिस की गई रिपोर्ट झूठी थी। कोर्ट को इसका फैसला गवाहों के आधार पर करना था।