हर वार्ड में कचरा के ढेर, सड़कों पर नाली की गंदगी
पत्रिका ने शहर के सभी वार्डों का बीते एक सप्ताह में भ्रमण किया। इस दौरान सफाई व्यवस्था हर जगह गड़बड़ ही मिली। वार्डों में जगह-जगह कचरा के ढेर लगे मिले, जो एक-एक हफ्ते तक नहीं उठाए जाते है। जबकि नगरपालिका में वार्डों में कचरा फेकने की अनुमति नहीं है। इसके बाद ही हर वार्डों में कचरों के ढेर देखने मिल रहे है। लोगों का कहना है कि वार्डों के अधिकांश क्षेत्र में कचरा कलेक्शन गाड़ी नहीं पहुंचती है। ऐसे में वार्ड में एक-दो जगह पर कचरा फेकना पड़ता है। इतना ही नहीं कई वार्डों में नालियां पूरी तरह चोक हो गई हैं। पहाड़ी क्षेत्र वाले वार्डों में एक-एक महीने से नालियां चोक पड़ी हैं, लेकिन सफाई नहीं की गई। जहां नालियां साफ कर दी गईं, वहां नालियों से निकलने वाला मलवा रोड पर छोड़ दिया गया, जिससे महीने भर से यह गंदगी सड़कों पर पड़ी हुई हैं। ऐसे में लोग परेशान है।
पत्रिका ने शहर के सभी वार्डों का बीते एक सप्ताह में भ्रमण किया। इस दौरान सफाई व्यवस्था हर जगह गड़बड़ ही मिली। वार्डों में जगह-जगह कचरा के ढेर लगे मिले, जो एक-एक हफ्ते तक नहीं उठाए जाते है। जबकि नगरपालिका में वार्डों में कचरा फेकने की अनुमति नहीं है। इसके बाद ही हर वार्डों में कचरों के ढेर देखने मिल रहे है। लोगों का कहना है कि वार्डों के अधिकांश क्षेत्र में कचरा कलेक्शन गाड़ी नहीं पहुंचती है। ऐसे में वार्ड में एक-दो जगह पर कचरा फेकना पड़ता है। इतना ही नहीं कई वार्डों में नालियां पूरी तरह चोक हो गई हैं। पहाड़ी क्षेत्र वाले वार्डों में एक-एक महीने से नालियां चोक पड़ी हैं, लेकिन सफाई नहीं की गई। जहां नालियां साफ कर दी गईं, वहां नालियों से निकलने वाला मलवा रोड पर छोड़ दिया गया, जिससे महीने भर से यह गंदगी सड़कों पर पड़ी हुई हैं। ऐसे में लोग परेशान है।
पर्याप्त स्टाफ, सफाई का ठेका, संसाधन फिर भी लापरवाही
नगरपालिका से मिली जानकारी के अनुसार शहर की सफाई के लिए नगरपालिका के पास पर्याप्त कर्मचारी है। सुपरवाइजर और दरोगा भी इनके ऊपर है। इसके अलावा सफाई के लिए एक फर्म को ठेका भी दिया गया है, जिसमें करीब ७० कर्मचारी है। कचरा कलेक्शन के वाहन, जेसीबी सहित अन्य मशीनरी भी सफाई व्यवस्था के लिए शहर में हैं, लेकिन इनका उपयोग प्रॉपर नहीं होने से वार्डों में गंदगी पड़ी देखने मिल रही है। इन सब पर नगरपालिका का रोजाना का खर्च २ लाख से अधिक का है।
नगरपालिका से मिली जानकारी के अनुसार शहर की सफाई के लिए नगरपालिका के पास पर्याप्त कर्मचारी है। सुपरवाइजर और दरोगा भी इनके ऊपर है। इसके अलावा सफाई के लिए एक फर्म को ठेका भी दिया गया है, जिसमें करीब ७० कर्मचारी है। कचरा कलेक्शन के वाहन, जेसीबी सहित अन्य मशीनरी भी सफाई व्यवस्था के लिए शहर में हैं, लेकिन इनका उपयोग प्रॉपर नहीं होने से वार्डों में गंदगी पड़ी देखने मिल रही है। इन सब पर नगरपालिका का रोजाना का खर्च २ लाख से अधिक का है।
गंदगी से पनप रहे मच्छर, फैल रही बीमारियां
वार्डों में कचरा, नालियों में जमा गंदगी से मच्छर पनप रहे हैं, जिससे गंभीर बीमारियां भी बढ़ रही हैं। इन दिनों डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, वायरल फीवर, इंफैक्शन सहित अन्य बीमारियों के मरीज ज्यादा मिल रहे हैं। जिनमें से अधिकांश बीमारियां गंदगी, मच्छर, मक्खियों की वजह से होना बताई जाती हैं। डॉक्टर भी ऐसे मरीजों को साफ-सफाई से रहने की सलाह दे रहे हैं।
वार्डों में कचरा, नालियों में जमा गंदगी से मच्छर पनप रहे हैं, जिससे गंभीर बीमारियां भी बढ़ रही हैं। इन दिनों डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, वायरल फीवर, इंफैक्शन सहित अन्य बीमारियों के मरीज ज्यादा मिल रहे हैं। जिनमें से अधिकांश बीमारियां गंदगी, मच्छर, मक्खियों की वजह से होना बताई जाती हैं। डॉक्टर भी ऐसे मरीजों को साफ-सफाई से रहने की सलाह दे रहे हैं।
वर्शन
वार्डों को साफ, स्वच्छ बनाने के लिए काम कर रहे है। जो दरोगा, सुपरवाइजर की शिकायत आ रही हैं, उन्हें हटाया जाएगा। हर वार्ड की समीक्षा मैं खुद ही जल्द करने वाली हूं। बिना शिकायत के ही समस्या का समाधान होना चाहिए।
वार्डों को साफ, स्वच्छ बनाने के लिए काम कर रहे है। जो दरोगा, सुपरवाइजर की शिकायत आ रही हैं, उन्हें हटाया जाएगा। हर वार्ड की समीक्षा मैं खुद ही जल्द करने वाली हूं। बिना शिकायत के ही समस्या का समाधान होना चाहिए।
रितु पुरोहित, प्रभारी सीएमओ दमोह