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मैजिक फिंगर्स : कर्नाटक की दृष्टिहीन ये महिलाएं छूकर पता कर लेती हैं कैंसर

खास बात ये है कि अंगुलियों की जांच से ये जैसा बताती हैं, वही अल्ट्रासाउंड, मैमोग्राफ और अन्य क्लिनिकल जांच में आता है।

नई दिल्लीSep 15, 2024 / 12:08 am

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बेंगलूरु. कमजोरी को ही यदि खूबी बना लिया जाए तो जीवन की दिशा बदल जाती है। बेंगलूरु में आरटी नगर की 24 वर्षीय आयशा बानू और कोलार की 29 वर्ष की नूरुन्निसा ने भी ऐसा ही किया। दोनों ही दृष्टिहीन होने के बावजूद स्पर्श की शक्ति से लोगों की जान बचा रही हैं। बेंगलूरु के साइटकेयर हॉस्पिटल में ये अपने कौशल और स्पर्श ज्ञान के बल पर हाथों से ब्रेस्ट कैंसर गंभीरता बता देती हैं। खास बात ये है कि अंगुलियों की जांच से ये जैसा बताती हैं, वही अल्ट्रासाउंड, मैमोग्राफ और अन्य क्लिनिकल जांच में आता है। कुछ महिलाएं इनसे ही स्तन कैंसर की जांच करवाना पसंद करती है। तर्क यह है कि ऑन्कोलॉजिस्ट से जांच करवाने की बजाय इनसे जांच करवाने में गोपनीयता बनी रहती है। आयशा अब तक दो हजार से ज्यादा महिलाओं की जांच कर चुकी हैं। वह अपनी आय का कुछ हिस्सा सामाजिक कार्यों के लिए दान करती हैं।
दोनों की एक जैसी कहानी
आयशा और नूरुन्निसा ने छोटी उम्र ही बीमारी के कारण दृष्टि गंवा दी थी। इसके बाद दोनों ने ग्रेजुएशन के लिए काफी चुनौतियां का सामना किया। आखिर मैजिक फिंगर्स ने उन्हें जीवन के अर्थ दिए। अब वे अपने क्षेत्र में पूरी तरह दक्ष हैं। इन्हें ‘मैजिक फिंगर्स’ इनिशिएटिव के तहत ब्रेस्ट कैंसर की गांठ और संभावित खतरों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान पुतलों का प्रयोग किया जाता है।
विकल्प के रूप में उभरी है मैजिक फिंगर्स
साइटकेयर हॉस्पिटल्स में ब्रेस्ट ऑन्कोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूवम्मा कहती हैं कि भारत में दृष्टिबाधित लोगों को विज्ञान के क्षेत्र में स्वीकार नहीं किया जाता, लेकिन मैजिक फिंगर्स जैसी पहल चिकित्सा के क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए एक विकल्प के रूप में उभरी है। मैजिक फिंगर्स का उद्देश्य स्तर कैंसर की शुरुआती अवस्था की पहचान करना है। इसके लिए आमतौर पर महिलाएं जांच के लिए देर कर देती हैं।

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