मतदान घटने पर चार बार तख्ता पलट
पिछले चुनाव के मुकाबले मतदान कम होने पर सीकर में छह में से चार बार तख्ता पलट हुआ है। 1971 में मतदान 4.25 प्रतिशत घटा तो कांग्रेस ने जनसंघ से सीट छीनी। 1980 में .16 फीसदी मतदान कम हुआ तो जनता पार्टी की जगह सांसद की कुर्सी जनता पार्टी सेक्यूलर के हाथ लगी। 1991 में 10.94 फीसदी मतदान घटने पर कांग्रेस ने जनता पार्टी और 2009 में 4.6 फीसदी मतदान घटने पर भाजपा से कुर्सी छीनी।
भाजपा ने दो बार बचाई कुर्सी
लोकसभा चुनावों में मतदान घटने पर भाजपा अब तक दो बार सीट बचाने में कामयाब रही है। 1999 व 2004 के चुनाव में मतदान कम हुआ तो तत्कालीन सांसद सुभाष महरिया अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे। इसी तरह मतदान बढऩे पर भी भाजपा को फायदा हो चुका है। 1998 में 17.01 फीसदी मतदान बढऩे पर भाजपा के सुभाष महरिया व 2014 में 12.12 फीसदी मतदान बढऩे पर सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने कांग्रेस से कुर्सी छीनी। 2019 के चुनाव में 4.54 फीसदी मतदान बढऩे पर भी सुमेधानंद सरस्वती की जीत के साथ भाजपा की सीट यथावत रही।