– सुप्रीम कोर्ट, वन्यजीव अधिनियम, पर्यावरण मंत्रालय व एनजीटी के नियमों का हो रहा उल्लंघन, विधिक कार्यवाही जरूरी अलवर. एनजीटी के आदेश के बाद वन विभाग लगातार अपनी जमीन को लेकर जागा हुआ है। उप वन संरक्षक वन्यजीव जयपुर ग्रामीण ओम प्रकाश शर्मा ने जिला कलक्टर अलवर को पत्र लिखा है। कहा है कि अजबगढ़ क्षेत्र में बहुतायत में होटल-रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट आदि गतिविधियां संचालित हो रही हैं, जो नियमों का खुला उल्लंघन हैं। इन गतिविधियों को बंद कर विधिक कार्यवाही अमल में लाई जाए। हैरत यह है कि करीब 2 माह पहले यह पत्र वन विभाग की ओर से कलक्टर को जारी हुआ था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई सामने प्रशासन की ओर से नहीं आई हुई है। लोग आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन प्रतिष्ठानों को संरक्षण दे रहा है।
यहां बनाए गए होटल-रेस्टोरेंट उप वन संरक्षक ने कहा है कि सरिस्का टाइगर रिजर्व का 881.11 वर्ग किमी क्षेत्रफल क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट यानी कोर क्षेत्र घोषित है। वर्ष 2012 में 332.23 वर्ग किमी क्षेत्र बफर एरिया घोषित है, जिसमें थानागाजी के गांव अजबगढ़, गुवाडा डाबर, गुवाडा घासी, गुवाडा हनुमान, गुवाडा लालभैया, गुवाडा सायब, गुवाडा भगवान, गुवाडा जानावत, गुवाडा हार, गुवाडा बिरकड़ी, गुवाडा सोती, गुवाडा व्यास, गुवाडा जमींदार, गुवाडा रामजी, गुवाडा गुगली, गुवाडा लेसवा, गुवाडा निरगा, गुवाडा राड़ी, गुवाडा कालोत, भूरियावाली का राजस्व क्षेत्र भी शामिल है।
इनका उल्लंघन बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में 200 से ज्यादा बड़े-छोटे होटल, रेस्टोरेंट, रिसॉर्ट आदि संचालित हैं। इनके पास राष्ट्रीय वन्य जीवमंडल (एनबीडब्ल्यूएल) की स्थाई समिति की अनुमति नहीं है। इस अनुमति के बिना एक भी होटल संचालित नहीं हो सकता। अधिकारियों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर वन्यजीव अधिनियम, एनजीटी के नियमों का यह खुला उल्लंघन है। सरिस्का के कोर व बफर एरिया में यह गतिविधियां नहीं हो सकती हैं। ऐसे में जिला कलक्टर अलवर कार्रवाई करें।
प्रशासन व वन विभाग की अनुमति से ही खड़े हुए होटल सीटीएच एरिया का नोटिफिकेशन वर्ष 2007-08 में हो गया था। वन विभाग को इस पूरे एरिया की जानकारी थी। 84 गांवों की 881.11 वर्ग किमी क्षेत्रफल था। यह एरिया राजस्व, पहाड़, नदी, नाले का था। ऐसे में वन विभाग ने बिना अपने नाम हुए इस जमीन पर बने होटलों को आंखें बंद करके स्थानीय स्तर पर संचालन की अनुमति दे दी। क्योंकि वह अपना बचाव इसलिए करते रहे कि जमीन राजस्व की है जबकि जांच रिपोर्ट में करीब 11 से ज्यादा वन विभाग के अफसर कटघरे में हैं, जिन्होंने यह अनुमति दीं। जिनके कार्यकाल में यह होटल बने। प्रशासन ने कई जमीनों का भू उपयोग भी बदला और होटल खड़े होते गए। ऐसे में मांग उठ रही है कि जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई हो।
दोनों मंत्रियों के हाथ दोषी अफसरों तक नहीं पहुंच पा रहे जांच में यह भी कहा गया है कि सरिस्का के अफसरों ने खुद कार्रवाई करने के बजाय अपने होटल खोल लिए। रिसॉर्ट बना लिए, जिन पर कार्रवाई करने से सरकार कतरा रही है। अलवर में केंद्रीय व राज्य सरकार के वन मंत्री हैं लेकिन उनके हाथ भी अफसरों तक पहुंचने में कांप रहे हैं, जबकि केंद्रीय मंत्री ने कार्रवाई के लिए करीब 25 दिन पहले प्रेसवार्ता में कहा था।
पत्र का परीक्षण किया जा रहा है। संबंधित प्रतिष्ठानों की जानकारी लेंगे और उसके बाद आगे की कार्रवाई करेंगे। — वीरेंद्र वर्मा, एडीएम प्रथम