scriptकिड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 9 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां | Kids Corner: Look at the picture, write a story 9 …. Interesting stories written by children | Patrika News
समाचार

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 9 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 9

जयपुरDec 13, 2024 / 10:11 am

sangita chaturvedi

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 9 .... बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 9

परिवार परिशिष्ट (4 दिसंबर 2024) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 9 में भेजी गई कहानियों में देवर्ष खत्री, आशिमा राठौड़ और वंशिका क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं।
अलार्म और आलस
रीमा और सीमा दो बहनें थीं। दोनों बहनें अलग-अलग स्कूल में पढ़ती थीं। रीमा चौथी कक्षा में और सीमा सातवीं कक्षा में पढ़ती थी। रीमा बहुत आलसी थी जबकि सीमा हमेशा चुस्त रहती थी। सीमा हर रोज सुबह घड़ी में अलार्म बजते ही उड़ जाती, लेकिन रीमा अलार्म बजने के बहुत देर बाद उठती थी और स्कूल के लिए तैयार होने में भी बहुत आलस के साथ काम करती थी। इसी कारण रीमा रोज स्कूल में लेट पहुंचती थी। जबकि सीमा प्रतिदिन स्कूल समय पर पहुंच जाती। सीमा स्कूल में सभी कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं में भाग लिया करती थी। कुछ दिन बाद दोनों बहनों के स्कूल में परीक्षा का समय आ गया। सीमा ने पूरी तैयारी के साथ परीक्षा दी जबकि रीमा परीक्षा के दिनों में भी अपना समय खेलने में खत्म कर देती थी। परीक्षा परिणाम आने पर सीमा कक्षा में अव्वल रही जबकि रीमा अपने आलस्य के कारण परीक्षा में बहुत ही कम नंबर से पास हो पाई। नंबर काम आने के कारण मम्मी पापा ने रीमा के सारे खिलौने छुपा दिए और उसे बच्चों के साथ खेलने से भी मना कर दिया। तब जाकर रीमा को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर कभी भी उसने आलस्य ना करने और अपने कार्य समय पर पूरा करने का निश्चय किया।
देवर्ष खत्री, उम्र-7 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

समय की कीमत
एक छोटे से गांव में राधा और श्यामा बहनें रहती थीं। छोटी बहन श्यामा आलसी थी। वहीं बड़ी बहन राधा कु छ कर दिखाना चाहती थी। वह पास के स्कूल में पढऩे जाती थी। हर दिन अलार्म बजते ही उठ जाती। छोटी बहन को सोना और खाना अच्छा लगता था। उसे अलार्म का बजना ही खराब लगता था। जबकि बड़ी बहन को अपना काम समय पर करना पसंद था। एक बार बड़ी बहन और छोटी बहन का कक्षा परिणाम आया। जिसमें श्यामा फैल हो गई और राधा पास हो गई। इसके बाद श्यामा ने पढ़ाई छोड़ दी। माता-पिता ने उसे बहुत समझाया फिर भी वह स्कूल नहीं गई और घर में मां के साथ काम में हाथ बंटाने लगी। कुछ साल राधा डॉक्टर बन गई। तब श्यामा को अपनी गलती का एहसास हुआ और यह बात समझ आई कि उसने पढ़ाई छोड़कर बड़ी गलत की। शिक्षा का जीवन में बड़ा महत्त्व है।
आशिमा राठौड़, उम्र- 13 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

समय का सदुपयोग
सोहनपुर नाम के गांव में राशि और रीता नाम की दो बहनें अपने माता-पिता के साथ रहती थीं। वे दोनों पांचवी कक्षा में पढ़ती थीं। राशि बहुत मेहनती थी। वह हमेशा सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करती थी लेकिन रीता अपना सारा समय खेलने में ही बर्बाद कर देती थी। राशि अपना काम हमेशा समय पर पूरा करती थी। जबकि रीता का काम कभी भी पूरा नहीं रहता था। जब मार्च आया, तो उनकी वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली थीं। राशि को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने में ज्यादा कठिनाई नहीं हुई। उसने जल्दी ही परीक्षा की तैयारी कर ली। लेकिन रीता ने पूरा साल कु छ भी नहीं पढ़ा था। इसलिए वह परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर पाई। परिणाम जब आया, तो राशि कक्षा में प्रथम आई। राशि के अच्छे अंक देखकर उसके माता-पिता ने उसे शाबाशी दी। रीता को पछतावा हुआ और उसने हमेशा समय का सदुपयोग करने का प्रण लिया। इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा समय का सदुपयोग करना चाहिए। समय रहते सारे काम करने चाहिए।
वंशिका, उम्र-13 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

अच्छी आदतें
एक छोटे से गांव में एक भाई और एक बहन अपने माता-पिता के साथ रहते थे। भाई-बहन आपस में बहुत प्यार करते थे और हमेशा एक-दूसरे का खयाल रखते थे। माता-पिता भी अपने बच्चों को बड़े प्यार से रखते थे। दोनों बच्चे बहुत प्यारे और मासूम थे। सुबह जल्दी उठते थे और अपने माता-पिता की हर बात मानते थे। वे पारंपरिक खेल ही खेलते थे, दोनों समय से उठकर विद्यालय जाते थे। वहां से आकर अपना गृहकार्य करते और शाम को दोस्तों के साथ खेलते थे। फिर रात होने पर खाना खाकर अपने कमरे में सो जाते थे। हमेशा यही दिनचर्या थी। दिसंबर में जब उनके विंटर ब्रेक आए, तब भी वे अपना रुटीन फॉलो करते थे। एक दिन सुबह अलार्म बजा तो लड़का जल्दी से उठ गया। अपनी बहन को उठाने लगा, लेकिन लड़की सो ही रही थी। फिर उनकी मम्मी आकर बोली, बेटा सो जाओ आज जल्दी नहीं उठाना है। आपकी तो छुट्टी है, लेकिन बच्चों की आदत हो गई थी जल्दी उठने की। बच्चों में जैसी आदत माता-पिता डालेंगे बच्चे वैसे ही बनते हैं।
माही दादरवाल, उम्र- 8 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

अलार्म की आवाज
एक गांव में एक प्रियांशी नाम की लड़की रहती थी। एक दिन वह शहर में अपनी आंटी के घर गई। उनकी बेटी का नाम आलिया था। उसके साथ खेलने-कूदने के बाद रात को वह आंटी के घर ही रुक गई। सुबह अलार्म जब बजा, तो डर के कारण प्रियांशी चिल्लाने लगी। उसे समझ नहीं आया कि अलार्म बज रहा है। उसे इस बारे में जानकारी नहीं थी, क्योंकि गांव में उसके पास यह सब चीजें नहीं थीं। फिर आलिया ने कहा मैंने इस घड़ी में अलार्म सेट कर के रखा था। प्रियांशी ने पूछा, यह अलार्म क्या होता। आलिया ने कहा अरे अलार्म का मतलब होता है जब हमें सुबह जल्दी उठना होता है तो हम अलार्म सेट करके सोते हैं। इससे समय पर काम हो जाते हैं। फिर दोनों सहेलियां अपने सुबह के काम करने में व्यस्त हो गईं। जाते-जाते प्रियांशी ने आलिया को धन्यवाद कहा कि उसने उसे अलार्म के बारे में जानकारी दी।
रिदम चौहान, उम्र- 11 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

अलार्म और स्कूल
एक समय की बात है। एक गांव में चिंटू व पिंकी दोनों बहन भाई अपने परिवार के साथ रहते हैं। चिंटू व पिंकी अपने परिवार के साथ में रात को शादी में गए थे। अगले दिन सोमवार को स्कूल जाना था। सुबह अलार्म बजा। पिंकी नहीं उठी और चिंटू उठ गया। चिंटू की मां आई और चिंटू को कहा जा स्कूल के लिए तैयार हो जा। चिंटू को पता नहीं था कि पिंकी की तबीयत खराब है। चिंटू स्कूल के लिए तैयार हो गया। अब मां पिंकी को उठाने गई, तो देखा पिंकी को तो बहुत तेज बुखार था। मां ने पट्टियां चढ़ाना शुरू किया। उसके पिता दवाई लेने चले गए। इस बात से चिंटू उदास हो गया कि पिंकी की तबीयत खराब है। उसे अकेले स्कूल जाना पड़ेगा। तो उसने मां से कहा, उसे लग रहा है उसकी भी तबीयत खराब है। लेकिन मां सब समझ गई और कहा यह गलत बात है। आखिरकार चिंटू को स्कूल जाना पड़ा और पिंकी जो पढ़ाकू थी, स्कूल न जाने के कारण उदास थी।
गुंजन गौतम, उम्र- 13 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

आलसी अनू-मनू
अनू और मनू दोनों को उनके टीचर रोज बताते-अर्ली टू बेड, अर्ली टू राइज और उनके मम्मी-पापा भी रोज जल्दी सोने और जल्दी उठने को कहते थे। रोज जल्दी उठाने के लिए उनके बिस्तर के पास अलार्म घड़ी रखते पर दोनों अलार्म बंद करके फिर सो जातीं। रात तक मोबाइल देखने की बुरी आदत थी। एक दिन उनके मम्मी-पापा ने उनके टीचर से कहा, कुछ ऐसा करो कि इनकी सही आदत पड़े। इस पर टीचर ने उनके स्कूल आने के बाद घोषणा की कि एक खेल प्रतियोगिता होने जा रही है। सुबह जल्दी स्कूल आना है। बड़ा इनाम भी मिलेगा। दोनों बहनें अनू-मनू सोचने लगीं कि वे फस्र्ट आकर इनाम लेंगी। उन्होंने अलार्म को खुद को सेट किया और सुबह बजते ही जल्दी-जल्दी तैयार होकर स्कूल पहुंच गईं। वहां देखा तो कोई प्रतियोगिता नहीं थी। तब स्कूल टीचर ने उन्हें इनाम देकर कहा, यह आज समय पर स्कूल आने के लिए आपको मिला है। ऐसे ही रोज समय पर काम करो, जिंदगी में इनाम ही इनाम मिलेंगे।
राजवीर सोनी, उम्र- 8 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

आलस भगाओ
एक समय की बात है दो बहनें थीं चुनिया और मुनिया। दोनों बहनें बहुत आलसी थीं। दोनों बहनों में चुनिया बड़ी और मुनिया छोटी थी। एक बार उनके माता-पिता को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। उन्होंने बड़ी बेटी चुनिया को घर की देखभाल करने को कहा और कहा कि सुबह जल्दी उठकर अपनी छोटी बहन मुनिया को तैयार कर दोनों बहनें समय पर विद्यालय जाएं। दूसरे दिन अलार्म बजता रहा। दोनों बहनें सोती रहीं। आलस करती रहीं। जब बड़ी बहन चुनिया की आंख खुली तो उसने देखा कि घड़ी में 7 बज चुके थे और विद्यालय जाने का समय हो चुका था और वह जोर से चिल्लाई और कहा – हे भगवान 7 बज चुके हैं और मैंने मुनिया को भी विद्यालय के लिए तैयार नहीं किया और घर का काम भी नहीं किया और मैं भी तैयार नहीं हुई। आज मेरे आलस के कारण ऐसा हुआ है। अब मम्मी पापा आएंगे, तो बहुत गुस्सा होंगे। वह बहुत डरी हुई थी और उसे अपनी गलती का एहसास भी हो चुका था। जब उनके माता-पिता आए तब उन्होंने समझाया कि हमें जीवन में कभी भी आलस नहीं करना चाहिए। लगातार मेहनत करते रहना चाहिए तभी जीवन में सफलता प्राप्त होती है। शिक्षा यह मिलती है कि हमें चुनिया की तरह जीवन में कभी आलस नहीं करना चाहिए अगर हम आलस करेंगे तो उसकी तरह ही जीवन में पछताने के सिवाय और कुछ नहीं रहेगा।
विशाखा शर्मा, उम्र- 12 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………………

मम्मी की सीख
टीना और मीना दो बहनें थी। दोनों आपस में बहुत प्रेम से रहती थीं। दोनों साथ में स्कूल जाती थीं। साथ में खेलती थीं और पढ़ाई किया करती थीं। एक दिन टीना ने रात के समय बहुत ही डरावना सपना देखा कि मीना और टीना के स्कूल जाते समय एक अनजान व्यक्ति बहुत समय से उनका पीछा कर रहा है। कु छ समय पीछा करने के बाद अनजान व्यक्ति ने उनके पास आकर चॉकलेट, टॉफी दिखाकर और खिलौने दिलाने का लालच देकर साथ चलने को कहा। मीना थोड़ी चंचल थी वो बहुत खुश हुई और टीना को उसके साथ चलने को कहने लगी। तब टीना मीना को समझाती है कि हमें मम्मी ने बाहर किसी भी अनजान व्यक्ति से कु छ भी लेने से मना किया है। इतने में ही टीना के पास रखी घड़ी में अलार्म बज जाता है, जिससे टीना की आंख खुल जाती है और सपना टूट जाता है। टीना उठती है और पास के बेड पर मीना को सोता हुआ देख खुश होती है। इस कहानी से सीख यह मिलती है कि हमें अनजान व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
सूर्यांश चौधरी, उम्र- 9 वर्ष

Hindi News / News Bulletin / किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 9 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

ट्रेंडिंग वीडियो